अर्थ ढूंडती यह गरीब की निगाह

 

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दामादों और सालों से
सिमटा सबका वर्तमान
नेताओं ने कर दिया नीलाम
हमारा पयारा हिंदुस्तान
लक्ष्य ढूंढ़ती हैं हर जिंदगी
जिसे घोटालों ने
कर दिया परेशान
गरीब से बना दिया
हमेशा का गुलाम
अर्थ ढूंडती यह
गरीब की निगाह
गड्ढों से भरी
है सब की राह
भूखे पेट सोता है
जहाँ किसान
हर पल काम
दूंदता हर नौजवान
सालों और दामादों में सिमटा
जहाँ सारा हिंदुस्तान
चांदी के चमचो
सबका जीवन कर दिया
तुमने मिल कर हराम
अर्थ दूंदता हरदम
हर एक इंसान
लक्ष्य ढूंढ़ती हैं हर जिंदगी
जिसे घोटालों ने
कर दिया परेशान

दामादों और सालों से
सिमटा सबका वर्तमान
नेताओं ने कर दिया नीलाम
हमारा पयारा हिंदुस्तान ~मोहन अलोक

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