असुर नाच
बांध टूटा पटरी टूटी जल प्रवाह छूटा
भृष्ट समाज की पहचान यही !
गरजे भोले नाथ
बाबा बर्फानी की पिघली बर्फ कहीं !!
बिजली टूट पड़ी कुछ परिवारों पे
हत्या बलत्कार दुर्गटना भरे अख़बारों से
माला के मनके माताएं
रोती रोती फेर रही कहीं
बांध टूटा पटरी टूटी जल प्रवाह छूटा
भृष्ट समाज की पहचान यही !
गरजे भोले नाथ
बाबा बर्फानी की पिघली बर्फ कहीं !!
असुर नाच से मची हर जगह हाहाकार
माँ सरस्वती का किया इन्हो ने तिरस्कार
पशु और अपराधी मिले साथ यहीं कहीं
बांध टूटा पटरी टूटी जल प्रवाह छूटा
भृष्ट समाज की पहचान यही !
गरजे भोले नाथ
बाबा बर्फानी की पिघली बर्फ कहीं !!
अछे दिन की आस से अच्छाई बिखर गयी
जब काले धन की जिंदगी निखर गयी
आम आदमी ढूंढ रहा खोयी जिंदगी यहीं कहीं
बांध टूटा पटरी टूटी जल प्रवाह छूटा
भृष्ट समाज की पहचान यही !
गरजे भोले नाथ
बाबा बर्फानी की पिघली बर्फ कहीं !! ~मोहन अलोक