आहट

आहट
</strong>तुम्हारी हर आहट मुझे तेरी बेवफाई की याद दिलाती है
कभी मुझे बेदर्दी से उपने दमन से छूटती है
और कभी जाने को कहती है
कबी चाँद कह बुलाती है
तुम्हारी हर आहट मुझे तेरी बेवफाई की याद दिलाती है
वोह हसीं हमें अपनी राह और अपनी मंजिल में साथ देने को कहती है
तो कभी एक मस्त नदिया की तरह खुद ही लहरों में तेजी से बहती है
ओ मेरी बर्बाद मोहब्बत मेरी वफ़ा तुझे आज भी बुलाती है
तुम्हारी हर आहट मुझे तेरी बेवफाई की याद दिलाती है
तेरा विलाप कुर्ना तेरा बिखरना हम को बहुत रुलाता है
तेरे साथ बिताया जिंदगी का हर पल हमें याद आता है
मैंने तो तेरा हाथ माँगा था तेरी यह हालत हमें रुलाती है
तुम्हारी हर आहट मुझे तेरी बेवफाई की याद दिलाती है~ मोहन अलोक

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