इतिहास
इतिहास के पन्नो में छुपा तूफ़ान हूँ !
हमदर्द दर्दे दिल के लिए वरदान हूँ !!
इन्साफ का इन्तजार करता इंसान हूँ !!!
देवदास हीर रांजो का किसको यकीन
ग़ालिब के गम में ग़मगीन पहचान हूँ !
छीन ले न कुछ चेहरों का शीन
उस इतिहास
में लग चुकी आग की पहचान हूँ !!
लूट गयी जिसकी इज्जत या जमीन
उस कमजोर इंसान की जान हूँ !!!
मेरे सपने अपने हैं इन्हे कैसे मैं बतला दूं
सितम जो मिले हैं कैसे मैं उन्हें भुला दूं
मेरे अपने हैं यह जज्बात यह मेरे तूफ़ान
मेरे अपने हैं यह मेरे लफजात मेरी शान ~मोहन अलोक