क्यूँ यह फरियाद
हमे नही मालूम था
की खामोशियों की भी
ज़ुबान होतीहै !
तन्हाई में खुश्क
आँखे गम बिना भी
अनजान रोती हैं !!
कोन साथ है
कोन पराया
कोन अपना
कोन साया
लुप्त हो जाती है
अंधेरों में
जो एक पहचान होती है !
हमे नही मालूम था
की खामोशियों की भी
ज़ुबान होतीहै !
तन्हाई में खुश्क
आँखे गम बिना भी
अनजान रोती हैं !!
कैसी यारी
कैसी गद्दारी
कैसी वफ़ादारी
भुला देती है वफ़ा
जब ख़तरे में जान होती है
हमे नही मालूम था
की खामोशियों की भी
ज़ुबान होतीहै !
तन्हाई में खुश्क
आँखे गम बिना भी
अनजान रोती हैं !!
क्यूँ यह याद
क्यूँ यह फरियाद
क्यूँ सब फ़साद
जब मोहब्बत की
कहानी एक
बर्बाद ज़ुबान होती है
भुला देती है वफ़ा
जब ख़तरे में जान होती है
हमे नही मालूम था
की खामोशियों की भी
ज़ुबान होतीहै !
तन्हाई में खुश्क
आँखे गम बिना भी
अनजान रोती हैं !!
~ मोहनआलोक