खामोश खुदा
खामोश खड़ा खुदा
था मानो हैरान !
जब वक़त बना
शैतान का मेहमान !!
कैसे पल वो
मुसीबत के पहार्ड
हिरणो के झुण्ड
शेरोन की दहार्ड
वक़त की चक्की
में पिसता इंसान
खामोश खड़ा खुदा
था मानो हैरान !
जब वक़त बना
शैतान का मेहमान !!
जंगल राज था और
नहीं कोई असूल
मौत से महंगे कफ़न की
ख्वाहिश भूल
जोंक संग धधकती लकड़ी
में जलता इंसान
खामोश खड़ा खुदा
था मानो हैरान !
जब वक़त बना
शैतान का मेहमान !!
शांत सागर के
दामन में जाल फैलाता
क़ुरबानी मागता
कोई भाग्य विधाता
टूटे ख्वाबों में था
बिखरा कारवान
खामोश खड़ा खुदा
था मानो हैरान !
जब वक़त बना
शैतान का मेहमान !!
~ मोहन अलोक