गुमनाम राहें सुहाना सफर

 

road 2

गुमनाम राहें सुहाना सफर

येः बदलती मंजिल !

बेईमान मौसम मदहोश उपवन

ले दड़कता दिल !!

यादों को कब्र में दफना हम

तेरी महफ़िल में आये

अँधेरी राहों को

राही से रुक्सत करा

हम दीप महोब्बत का

जला आये

बेवफा वक़त कंटीली राहें

हमसफ़र कातिल

गुमनाम राहें सुहाना सफर

येः बदलती मंजिल !

बेईमान मौसम मदहोश उपवन

ले दड़कता दिल !!

येः कैसे बर्फ और बदन का रिश्ता

रहे अटूट

आंसू बन पिघले बर्फ

जब जान बदन से जाय छूट

ढलती उम्र छूटते हमसफ़र

कहाँ चाहत हासिल

गुमनाम राहें सुहाना सफर

येः बदलती मंजिल !

बेईमान मौसम

मदहोश उपवन

ले दड़कता दिल !!

क्या तुम कोनसी मोहब्बत

और कैसा यह धोखा

हक़ नहीं अब जब खत्म किया

तुमने सब मौका

बुझता दिया ढलता बदन

और अनजान साहिल

गुमनाम राहें सुहाना सफर

यह बदलती मंजिल !

बेईमान मौसम

मदहोश उपवन ले दड़कता दिल !! ~   मोहन अलोक  

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