जखम
मुझे भी नही मालूम
मैं क्या था
यक़ीनन मैं वो नही था
जो दुनिया ने तुम्हे कहा था
छोटे बड़े मूँह की क्या बात
जुदाई जखम तो हमने ही सहा था
गिला बेदर्द दुनिया से नही
बेपरवाह थे किसने क्या कहा था
वक़त ने वक़त से की बेवफ़ाई
खून तो इस दर्देदिल से ही बहा था
मुझे भी नही मालूम
मैं क्या था
यक़ीनन मैं वो नही था
जो दुनिया ने तुम्हे कहा था
छोटे बड़े मूँह की क्या बात
जुदाई जखम तो हमने ही सहा था
मानते हैं कमजोर दिल इंसान थे
हम बर्दाश्त ना कर पाए
तेरी जुदाई का गम
कड़वे जाम का स्वाद
तो इस भटकती रूह ने ही सहा था
शिकायत नादान
दुनिया से नही
तुमसे ही थी
ऐ चाँदनी रात
उन अंधेरोन में
उस दिन
क्यूँ छुप गयी
इन दुर्गम
जटीली कंटीली राहों का
दर्दे जखम
तो हमने ही सहा था
वक़त ने वक़त से
की बेवफ़ाई
खून तो
इसी दर्देदिल से ही
बहा था
मुझे भी नही मालूम
मैं क्या था
यक़ीनन मैं वो नही था
जो दुनिया ने तुम्हे कहा था
छोटे बड़े मूँह की क्या बात
जुदाई जखम तो
हमने ही सहा था
मुझे भी नही मालूम
मैं क्या था
यक़ीनन मैं वो नही था
जो दुनिया ने तुम्हे कहा था
~ मोहन आलोक
हर पीली पत्तियाँ गुलाब
नहीं होती
हर कोई महक
अलोक तेरे जखम का जवाब
नहीं होती ~ मोहन अलोक