निशान

 

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जीवन राह में छोड़ दिए हैं

हमने कुछ ऐसे निशान

चिंन्हों को जो समझ ले

मंजिल पहुँच जाये कारवां
ब्रह्माण्ड देख ले

हर वो नजर

धरती से आसमान
साथ छोड़ अंधेरों में

छुप गए मेरे अपने
सोता छोड़ विरानो में

रूठ गए मेरे सपने
विवश वो

विवश मैं हूँ

आखिर तो हैं

मामूली इंसान

जीवन राह में

छोड़ दिए हैं

हमने कुछ ऐसे निशान

चिंन्हों को जो समझ ले

मंजिल पहुँच जाये कारवां
ब्रह्माण्ड देख ले

हर वो नजर

धरती से आसमान

सच क्या है

सच क्या था

सच का सबको इन्तजार
सच धरती सच सितारे

सच चाँद या सच अन्धकार
सच की खोज में

भरपूर मरता

हर पल यह इंसान

जीवन राह में छोड़ दिए हैं

हमने कुछ ऐसे निशान
चिंन्हों को जो समझ ले

मंजिल पहुँच जाये कारवां
ब्रह्माण्ड देख ले हर वो नजर

धरती से आसमान

आंधी में बिखर गया

मुश्किल से रचा मेरा नीढ़

जिंदगी से थक कैसे सहून

छीलते छालों की पीर्ड
जिंदगी के दीप को

बुझा ना पाएगी हवा या तूफ़ान

जीवन राह में छोड़ दिए हैं

हमने कुछ ऐसे निशान
चिंन्हों को जो समझ ले

मंजिल पहुँच जाये कारवां
ब्रह्माण्ड देख ले

हर वो नजर धरती से आसमान ~मोहन आलोक

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