लहरों ने की कोशिश

लहरों ने की कोशिश
चूमने की हर कदम
तो हमने खुद को हटा लिया
चांदनी ने जब की कोशिश
जगमगाने की अंधेरों में
हमने खुद को छूपा लिया
क्या करें क्या. कहें अब हम
हर ख्वाब मय खाने में
मय के संग बहा दिया – मोहन आलोक