वो मेरे ही शहर में

  1. बहुत दर्द हैं इन अफ्सानो में
    और ना दर्देदिल जगाओ
    कई आये और कई गए नए पुराने दर्द
    पुराना दर्द ना याद दिलाओ
    जिन्हे डूंडा था उस शहर में
    वोह मेरे ही शहर में
    आग दिल में जला  कर चला गया;
    वो मेरे ही शहर में मुझे
    मिट्टी में मिला कर चला गया;
    दर्द की महफ़िल में जब वो …
    अपने दर्द को छुपा कर चला गया।
    न किसी के रहम और ना दुआ का मोहताज
    सिर्फ तेरी आरजू ही मेरा ख्वाब
    उन गलियों में कैसे जाएँ हैम
    जहाँ का रास्ता है बहुत खराब
    दिल की किताब के हर पन्ने पर
    वहः खून के धब्बे लगा गया
    जिन्हे डूंडा था उस शहर में
    वोह मेरे ही शहर में
    आग दिल में जला  कर चला गया
    ~ मोहन अलोक

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