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वक्त ने सागर को उसकी ओकात दिखा दी

वक्त ने सागर को उसकी ओकात दिखा दी !
आने वाले कल से उसकी मुलाकात करवा दी !!

मत कर गुमान तुम अपनी गहराई का
मामूली सा तुफान तुम्हे हिला देगा
ककंर पत्थर की कोई ओकात नही
मै बदला तो तेरे सीने मे आग लगा दूगा

आज मैने किस्मत की लकीर जो तेरे हाथ बना दी

वक्त ने सागर को उस की ओकात दिखा दी !
आने वाले कल से उसकी मुलाकात करवा दी !!

कभी चादं सितारो पर भी घमन्ढी सागर थे
गहरीईया बडाते पानी से भरे बादल थे
मै जब बदला सबकी सही जात बता दी

वक्त ने सागर को उस की ओकात दिखा दी !
आने वाले कल से उसकी मुलाकात करवा दी !!

-मोहन आलोक

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