jindagi
जिंदगी तनहा लम्हों से जब गुजरी तो हम रो लिए
परायों की चोखट में जब खुदी को हम खो दिए
जिंदगी तनहा लम्हों से जब गुजरी तो हम रो लिए
डर लगता था तन्हाई से
खामोश सी उन सांसो पराई से
तेरे रोज मिलने के बाद जब डरते थे हम इसी जुदाई से
कसमे खाई थी हमसफ़र
तुमने अब तुम किसके हो लिए
परायों की चोखट में
जब खुदी को हम खो दिए
जिंदगी तनहा लम्हों से जब गुजरी
तो हम रो लिए
परायी तनहा रातों में तेरा सहारा चाहिए
अजनबी एस जिंदगी में साथी प्यारा चाहिए
रुक चुकी है जिंदगी ऐसे यार की
जैसे हम अब सो लिए
परायों की चोखट में
जब खुदी को हम खो दिए
जिंदगी तनहा लम्हों से जब गुजरी
तो हम रो लिए
याद है हमें इस तूफ़ान के आने के बाद बिछुरना
बिछुरन के बाद किस्सी और बगिया में खिलना
तार तार कर जिंदगी तार हुई
की हम खो गए
परायों की चोखट में जब
खुदी को हम खो दिए
जिंदगी तनहा लम्हों से जब गुजरी
तो हम रो लिए
गम यह है की आपने भी
हमें ना जाना
कच्चा रिश्ता था आपका
जो मुझे भूल जाना
क्यूँ यकीन किया उन पर
जो जहर के बीज बो गेये
परायों की चोखट में जब खुदी को हम खो दिए
जिंदगी तनहा लम्हों से जब गुजरी
तो हम रो लिए
बीते दिनों का नज़ारा दिखा सकता था
लेकिन खुद ही हम खुदी में खो गए
परायों की चोखट में जब
खुदी को हम खो दिए
जिंदगी तनहा लम्हों से जब गुजरी
तो हम रो लिए …….. मोहन अलोक