1. भिगो नहीं देती आँखों को हर कहानी
बस दिल में बस जाती है वही निशानी
जिसको बेपनाह इश्क़ करते हैं हम
जब निकल जाते हैं बन कर गरम पानी~ मोहन अलोक
2.
तन्हा वक़त पुरानी याद
तुम्हारा फ़ैसला हमारी फरियाद
हाथों में मेरे कुछ मुरझाये फूल
कुछ तो होगा तुम्हे याद
एक खामोश सा वो पल
जब तुमने कर दिया फसाद
तन्हा वक़त पुरानी याद ~ मोहन अलोक
3. पत्थर नही हूँ मै
मेरे सीने में भी है कुछ आस
जब भी याद करो गए
सुनाई देगी धड़कन आस पास
ठोकर ना मारो यों ही
थम जाये ना यों ही यह साँस~ मोहन अलोक
4.
मैं कय़ा करता
जब उन्हें मेरे मिटने की थी चाह
मैं किया कहता
मेरे हर कतरे में थी एक आह
मैं किया सोचता
जब हर अरमान हो गया था स्वाह
मैं क्यूँ सहता
जब उनका शक बन गया था एक अफवाह
मैं क्यूँ न टूटता
उन्हें मेरी तकलीफ की नहीं थी परवाह
~ मोहन अलोक
5. मुरझाये फूल, बिखरी पतियाँ
कण-कण धूल में समा जाये
जब चले आंधियां उठे तूफान
छांव की चाह में वोः झुलस न जाये
जब सागर मंथन हो
डरकर उनके कदम कहीं ठहर न जाये
विश्वास जब हो उनका हम पर
तो पुनः अमृत हम सब पा ही जाये~ मोहन अलोक
6. आपको आपका आइना ही मुबारक,
हम तो हवा का वो तेज झोंका हैं
जिससे
रह ना पायेगा कोई सामान सलामत
~ मोहन अलोक
7.
वक़्त और हालात
दोनों दिखाएँ
अपनी अपनी करामात
वक़्त बदले जिंदगी
और हालत बताये
सबकी असली जात ~ मोहन अलोक
8.
एक टूटा सा आईना देख कर
कैसे वो शृंगार नया कर गए
सज़ाए मोहब्बत वोह हमें दे गए,
और चौराहे पे नीलाम हमें कर गए,
शायद बेहद मशहूर हमें कर गए
और इल्ज़ाम सरे हमपे धर गए.
ताकि नये ज़ख्मों की गुंजाईश ना हो
और सारे पुराने ज़ख्म भर गए~ मोहन अलोक
9. हर पीली पत्तियाँ गुलाब
नहीं होती
हर कोई महक ग़ालिब
तेरे जखम का जवाब
नहीं होती~ मोहन अलोक
10.
बहुत दर्द हैं इन अफ्सानो में
और ना दर्देदिल जगाओ
कई आये और कई गए नए पुराने दर्द
पुराना दर्द ना याद दिलाओ
जिन्हे डूंडा था उस शहर में
वोह मेरे ही शहर में
आग दिल में जगा कर चला गया;
वो मेरे ही शहर में मुझे
मिट्टी में मिला कर चला गया;
दर्द की महफ़िल में जब वो
अपने दर्द को छुपा कर चला गया।
न किसी के रहम और ना दुआ का मोहताज
सिर्फ तेरी आरजू ही मेरा ख्वाब
उन गलियों में कैसे जाएँ हैम
जहाँ का रास्ता है बहुत खराब
दिल की किताब के हर पन्ने पर
वहः खून के धब्बे लगा गया
~ मोहन अलोक