gumrah
गुमराह
हम नहीं जानते
की कैसे और क्यूँ
हम गुमराह हो गए
तुम्हारे निकाह की खबर सुन
नशे में तबाह हो गए
वोह इल्जाम लगाते रहे
और हम खामोश थे
उनकी भधी हरकतें
देख हम बेहोश थे
जुल्म करने वाले अपने थे
और हम बेपरवाह हो गए
हम नहीं जानते की
कैसे और क्यूँ
हम गुमराह हो गए~ मोहन अलोक