yadein

यादें

उनकी भी उन जैसी हैं

उनको आता है

बस रुला देना

टूटना तो था ही धागों को

दरजी से

जो दोस्ती की थी ~मोहन अलोक …..

आंसू गुजरे लमहो के. हालात मेरे
खामोश मन के कुछ सवालात मेरे
कहने को बहुत था. उनको जबान पे
लेकिन यही थे अनकहे अल्फाज मेरे -मोहन आलोक

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