अकेला है चाँद सितारों में भी क्यूँ झांकते हो उसे
वीरानों में अभी
दिल मेरा खोखले से तने की तरह कमजोर सुन नहीं पाये गा इन कराहटों का शोर क्यूँ ढूंढ़ते हो बेगानों में भी अकेला है चाँद सितारों में भी क्यूँ झांकते हो उसे वीरानों में अभी~मोहन अलोक
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