मेरी नाव को संभल जाने दो
मेरी जीवन नाव को
जरा संभल जाने दो
ऐ तूफ़ानो
ज़रा सब्र करो !
मेरे जीवन की
मंज़िल आने दो
खवाबो ज़रा सब्र करो !!
मांजी हूँ मैं
टूट चुकी नाव का
राही हूँ मैं
बदलते पड़ाव का
मेरे जखम भर जाने दो
प्रहारो ज़रा सब्र करो
मेरी जीवन नाव को
जरा संभल जाने दो
ऐ तूफ़ानो
ज़रा सब्र करो !
मेरे जीवन की
मंज़िल आने दो
खवाबो ज़रा सब्र करो !!
अकेला नही हूँ
अकेला ना था
इस दिशाहीन नाव में
कुछ काँपती
रूहेन भी थी हमसफ़र
वक़त के घाव
भर जाने दो
हट जाओ
मेरे रास्ते से
मुझसे टकराने की
ज़ूर्रत ना करो
जाने दो
मेरे जीवन की
मंज़िल आने दो
खवाबो ज़रा सब्र करो !!
मेरी जीवन नाव को
जरा संभल जाने दो
ऐ तूफ़ानो
ज़रा सब्र करो !
~ मोहन आलोक