शृंगार

photo

 

एक टूटा सा आईना देख कर
कैसे वो शृंगार नया कर गए
सज़ाए मोहब्बत वोह हमें दे गए,
और चौराहे पे नीलाम हमें कर गए,
शायद बेहद मशहूर हमें कर गए
और इल्ज़ाम सरे हमपे धर गए.
ताकि नये ज़ख्मों की गुंजाईश ना हो
और सारे पुराने ज़ख्म भर गए~ मोहन अलोक

Leave a comment