कभी हँसी कभी हसीन यादें
कभी हँसी कभी हसीन यादें और कभी गम !
कभी मुस्कराता चेहरा और कभी आँखे नम !!
ख़ुशी जब तबाह जिंदगी से हार मान गयी
अनदेखी गलती और मासूम की जान गयी
मुद्दत बाद ऐ मुक़दर खड़े तेरे द्वार हम
कभी हँसी कभी हसीन यादें और कभी गम !
कभी मुस्कराता चेहरा और कभी आँखे नम !!
जब जिंदगी हार गयी मुक़दर और नसीब से
रूठ गयी खुशीआं जब मंजिल के करीब थे
रोशनीओं से राह और राही बन गए मूभम
कभी हँसी कभी हसीन यादें और कभी गम !
कभी मुस्कराता चेहरा और कभी आँखे नम !!
अँधेरी रातो ने किया तब तब जिंदगी को नीलाम
राही और रास्ते जब जब बने वक़त के गुलाम
मुझे माफ़ कर मुक़दर भटक गए थे हम
कभी हँसी कभी हसीन यादें और कभी गम !
कभी मुस्कराता चेहरा और कभी आँखे नम !!
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मोहन अलोक