सुलगती भावनाएं

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धधकता धुआं सुलगती भावनाएं

आग सी भटकती कामनाएं

कोयले से स्याह काली रात 

का एक सपना

ओलों की मतवाली बरसात में

कोई अपना

बेगुनाह भटकती आत्माएं

धधकता धुआं सुलगती भावनाएं

आग सी भटकती कामनाएं

किसी और के गुनाह से बदलती भाग्य रेखा 

कैसा था सावन कैसा यह  उपवन देखा

अंकुर  गुलाब के काँटों में उलझते जाएँ

धधकता धुआं सुलगती भावनाएं

आग सी भटकती कामनाएं

मदमस्त भंवरों की निकली बारात

गुम होती दुर्गम राहों में एक रात

नम निगाहों से ओझल होती आकांक्षाएं

धधकता धुआं सुलगती भावनाएं

आग सी भटकती कामनाएं

जाल बुनती मकड़ियों का खेल

कपटी और जालसाजों का मेल

मासूम पेड़ों की देखी   टूटती शाखाएं

धधकता धुआं सुलगती भावनाएं

आग सी भटकती कामनाएं~ मोहन अलोक 

 

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