शोर मचा मेरे शब्द

 

river

 

 

 

 

“शब्द से पहचान मेरी
शब्द से जान मेरी
शब्द ही किस्मत मेरी
शब्द ही शान मेरी”

शोर मचा मेरे शब्द

आज मैं अकेला हूँ !

शोर मचा

नदी की धारा    

आज मैं अकेला हूँ !

इन वीरानों में

इन तूफानों में

आज मैं अकेला हूँ !

सूर्यकिरण ला

चांदनी का नज़ारा

मेरे आसमानो में

आज मैं अकेला हूँ !

शरण लेती जिंदगी

कराहती राहों में

आंसू गिराता सावन

नम निगाहों में

कराह निकली

मिटटी भरे घावों से

शोर मचा मेरे शब्द

आज मैं अकेला हूँ !

शोर मचा

नदी की धारा    

आज मैं अकेला हूँ !

शोर मचा मेरे शब्द

आज मैं अकेला हूँ !

शोर मचा

नदी की धारा    

आज मैं अकेला हूँ !

छूट गया एक राही

का सहारा

 पुल     तोड़ दिए

कुछ बेईमानो ने

ठोकरें लगी

कंटीली राहों में
आहें निकली
 मिटी भरे घावों से  

शोर मचा मेरे शब्द

आज मैं अकेला हूँ !

शोर मचा

नदी की धारा    

आज मैं अकेला हूँ ~ मोहन अलोक

 

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