मधुशाला पेगाम देती
आओ मेरे मधु के प्याले में खो जाओ
मीठा दरिया है पुकारता
आओ मेरे मीठे पानी में ड़ूब जाओ
यह दोस्ती कभी कभी गहरी नींद सुला देती है
मृदु भावों के अंगूरों की याद बहुत रूला देती है
झरनो के वेग कहते
आओ मेरे संग मौज-मस्ती की शंख बजाओ
मधुशाला पेगाम देती
आओ मेरे मधु के प्याले में खो जाओ
मीठा दरिया है पुकारता
आओ मेरे मीठे पानी में ड़ूब जाओ
यादे दिल से कहती तुम ही तो हो मेरे पास हो
प्याला भ र लो हर उस वजह से जो ख़ास हो
डूबकी लगाओ गोता लगाओ
मधू प्याले में भर कर ले जाओ।
मधुशाला पेगाम देती
आओ मेरे मधु के प्याले में खो जाओ
मीठा दरिया है पुकारता
आओ मेरे मीठे पानी में ड़ूब जाओ
दोस्ती में सबसे पहले शराब का ही नाम आता है
शराब शबनम का कइ जन्मों से हरदम नाता है
धोखे की मुलाकात और प्याले में जहर
न मिलाओ
मधुशाला पेगाम देती
आओ मेरे मधु के प्याले में खो जाओ
मीठा दरिया है पुकारता
आओ मेरे मीठे पानी में ड़ूब जाओ _ मोहन. आलोक