ऋषि अग्नि वैश्य अग्नि वेश्य को अंगिरा गोत्र का और भारद्वाज का छोटा भाई माना जाता है। इनके गुरू अगस्त ऋषि थे। ब्रह्मा, विष्णु, महेश और ऋषि हम भारतीयों के पूर्वज हैँ। अग्नि वैश्य, सूर्य ओर वायु (वायो), ऋषि थे । ऋग्वेद में अग्नि के ऋषि होने के प्रमाण है । द्रुपद और द्रोणाचार्य ने अग्नि वेश्य से धनुर्विद्या की शिक्षा ग्रहण की। ऋषि ने दोनों शिष्यों को “ब्रह्मशिर” अस्त्र दिया। इस ऋषि को कुछ समय पाण्डवों के साथ द्वैत वन में भी रहना पड़ा था। ऋग्वेद के अनुसार, ऋषि अंगिरा ने सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न की थी। ईश्वर ने ऋषि अग्नि, ऋषि वायो, ऋषि अंगिरा और ऋषि आदित्य को ज्ञान दिया। अंगिरा की पत्नी दक्ष प्रजापति की पुत्री स्मृति थीं। अंगिरा के 3 प्रमुख पुत्र थे। उतथ्य, संवर्त और बृहस्पति। ऋग्वेद में उनका वंशधरों का उल्लेख मिलता है। इनके और भी पुत्रों का उल्लेख मिलता है- हविष्यत्, उतथ्य, बृहत्कीर्ति, बृहज्ज्योति । जांगीड़ ब्राह्मण नाम के लोग भी इनके कुल के हैं। आंगिरस ऋषि के द्वारा स्थापित किए गए इस वंश की जानकारी ब्रह्मांड, वायु एवं मत्स्य पुराण में मिलती है। महाभारत में जब युधिष्ठिर ने मार्कण्डेय जी से पूछा कि पूर्वकाल में अग्नि देव ने किस कारण से जल में प्रवेश किया था और ऋषि अग्नि क्यों अदृश्य हो गये थे मार्कण्डेय जी ने कहा- राजन । अग्नि देव कुपित हो तपस्या के लिये जल में प्रविष्ट हुए थे। और महर्षि अंगिरा ही भगवान अग्निवेश्य बन गये और अपनी प्रभा से अन्धकार का निवारण करते हुए जगत को ताप देने लगे। अपने उद्देश्य में सफल होकर वे सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करने लगे। English Translation. Rishi Agni Vaishya Rishi Agni Vaishya, is considered to be of the Angira clan and the younger brother of Bharadwaja. His teacher was the sage Augustus. Brahma, Vishnu, Mahesh and Rishi are the ancestors of Indians. Agni Vaishya, Surya and Vayu (Vayo), were the sages. There is evidence in the Rig Veda that Agni was, in fact, a sage. Drupada and Dronacharya learned archery from Agni Veshya. The sage gave the “Brahmashir” weapon to both the disciples. This sage had to live in the dual forest with the Pandavas for some time. According to the Rig Veda, Rishi Angira was the first to create fire. God gave knowledge to Rishi Agni, Rishi Vayo, Rishi Angira and Rishi Aditya. Angira’s wife was Smriti, the daughter of Daksha Prajapati. Angira had three sons. Utathya, Samvarta and Brihaspati. His descendants are mentioned in the Rig Veda. Other sons are mentioned: Havishyat , Utathya, Brihatkirti, Brihajjyoti. Jangir Brahmins also belong to this clan. This dynasty, founded by the sage Angiras, is mentioned in the Brahmanda, Vayu and Matsya Puranas. In Mahabharata, when Yudhisthira asked Markandeya why the God Agni had entered the water in the past and why the sage Agni had disappeared, Markandeya said, “Rajan. The god of fire was angry and entered the water for penance. And Maharishi Angira became Lord Agniveshya and began to heat the world by dispelling darkness with his radiance. Succeeding in his purpose, he began to illuminate the whole world.