मनु की पुत्री इला का विवाह ऋषि अत्री के पुत्र सोम अथवा चन्द्र के पुत्र बुध से हुआ जिससे पुरुरवा का जन्म हुआ था| यहाँ से चन्द्रवंशी क्षत्रियों का राज्य शुरू होता है | राजा चन्द्र के तीन अन्य नाम इन्दु, आन्ध्र और आर्द्र है। भागवत पुराण में इसे विश्वंरधि का पुत्र कहा है। ऋग्वेद और पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्रवंश के प्रथम राजा का नाम यायात्री था। चंद्रवंशीय सरस्वती नदी और सरहिन्द के क्षेत्र में रहते थे । प्रारंभिक युग में चन्द्र क्षत्रिय का पुत्र बुद्ध था, जो सोम भी कहलाता था। बुद्ध का विवाह मनु की पुत्री इला से हुआ। उनसे उत्पन्न हुए पुत्र का नाम पुरूरवा था। इसकी राजधानी प्रयाग के पास प्रतिष्ठानपुर थी। पुरूरवा के वंशज चन्द्रवंशी क्षत्रिय कहलाए। पुरूरवा के दो पुत्र आयु और अमावसु थे। आयु ज्येष्ठ पुत्र होने के नाते प्रयाग राज्य का अधिकारी बना तथा अमावसु को कान्यंकुब्ज का राज्य मिला। आयु के नहुष नामक पुत्र हुआ। नहुष के दो पुत्र हुए ययाति और क्षत्रबुद्ध। ययाति इस वंश में सर्वप्रथम चक्रवर्ती सम्राट बना और उसके भाई क्षत्रबुद्ध को काशी प्रदेश का राज्य मिला। उसकी छठी पीढ़ी में काश नामक राजा हुआ, जिसने काशी नगरी बसाई थी तथा काशी को अपनी राजधानी बनाई। सम्राट ययाति के यदु, द्रुह्य, तुर्वसु, अनु और पुरू पाँच पुत्र हुए। सम्राट ययाति ने अपने सबसे छोटे पुत्र पुरू को प्रतिष्ठानपुर का राज्य दिया, जिसके वंशज पौरव कहलाए। यदु को पश्चिमी क्षेत्र केन, बेतवा और चम्बल नदियों के काठों का राज्य मिला। तुर्वसु को प्रतिष्ठानपुर का दक्षिणी पूर्वी प्रदेश मिला, जहाँ पर तुर्वसु ने विजय हासिल कर अधिकार जमा लिया। वहाँ पहले सूर्यवंशियों का राज्य था। दुह्य को चम्बल के उत्तर और यमुना के पश्चिम का प्रदेश मिले और अनु को गंगा-यमुना के पूर्व का दोआब का उत्तरी भाग, यानी अयोध्या राज्य के पश्चिम का प्रदेश मिला। चन्द्र-वंश निम्न जातियों के पूर्वज थे सोमवंशी, भृगुवंशी, गंगावंशी, कौशिक, तोमर, पुरूवंशी, सेंगर, यादव, हैहय भाटी, जाडे़दार, करचुलिसया , गहरवार, चेन्दल, बेरूआर, सिरमौर, सिरमुरिया, जनवार, झाला, पलवार, विलादरिया, खाति क्षत्रिय, इनदौरिया, बुन्देला, कान्हवंशी, रकसेल, कुरूवंशी, कटोच, तिलोता, बनाकर, भारद्वाज, सरनिहा, द्रह्युवंशी, हरद्वार, चैपटखम्भ, क्रमवार, मौखरी, टाक ।