बाबा पराग दास छिब्बर मोहयाल ब्राह्मण थे। वे भृगु गोत्रीय, छिब्बर ब्राह्मण महात्मा गौतम के पुत्र थे। उन्होंने सिक्ख पंथ के प्रचार-प्रसार में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। गुरु नानक देव की कश्मीर यात्रा में ये गुरू के सम्पर्क में आए थे। गुरु नानक देव के स्वर्गवास होने के पश्चात सिक्ख पंथ को सबल बनाने के लिए उन्होंने पांच गुरूओं का साथ दिया। गुरु नानक देव जी के बाद, बाबा पराग दास ने अगले पांच गुरुओं के जीवनकाल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई: गुरु हर गोबिन्द जी के सिख सेना में वह जनरल थे। जब गुरु हरगोबिंद साहिब ने सिख सेना बनाई, तो भाई पराग दास अपने कई साथियों के साथ सेना में शामिल हो गए। जब गुरु साहिब ने इस बल को एक जत्थेदार के तहत पाँच इकाइयों में विभाजित किया, तो भाई पराग दास पाँच जत्थेदारों में से एक बन गया। उन्होंने सिख सेना को नेतृत्व दिया । बाबा पराग दास को अगर आज का भीष्मपितामह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन की सात पीढ़ियों ने भी हिन्दु धर्म की रक्षा हेतु गुरूओं द्वारा चलाए अभियानों में बलिदान दिए। गुरु गद्दी प्राप्ति के लिए संघर्ष तथा उससे उठी समस्याओं का भी बाया परागा भाई गुरूदास से मिलकर उचित समाधान करते रहे। धार्मिक स्थानों के निर्माण, श्री गुरु ग्रंथ साहिब के संकलन में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब के ये प्रथम ग्रंथी बनें। छठे गुरू हरि गोविंद द्वारा चलाए गए धर्म युद्धो में भी बाबा परागा दास पीछे नहीं रहे, चाहे वृद्धावस्था के कारण उनका शरीर जर्जर हो गया था। उन्होने लाहौर के गवर्नर पैदा खान के खिलाफ जंग लड़ी और अपने कौशल से दिखा दिया की उम्र सिर्फ एक संख्या है! वह 3 अक्टूबर 1621 के दिन रुहेला की लड़ाई में शहीद हो गए ।करतारपुर के युद्ध में उन्होंने पैदा खा को मार गिराया था। इस युद्ध में वे इतने घायल हो गए कि कुछ दिनों बाद स्वर्ग सिधार गए ।
“जैत सो परागा धीर पैडा जग आयो है।” (गु० प्रताप सूर्य) बाबा पराग दास की मृत्यु सं० 1695 कि० मानी जाती है। परन्तु उनकी जन्म तिथि के विषय में लेखक एकमत नहीं, उनकी जन्म भूमि करियाला, जिला जेहलम (पाकिस्तान) है। पोठोहार का यह नगर लगभग 450 वर्ष तक सिक्खों का तीर्थ स्थान रहा है और अब भी है। बाबा परागा समाधि स्थल की देख-रेख एक छिब्बर परिवार कर रहा है। करियाला नगर में कई महान विभूतियों ने जन्म लिया। बाबा परागा के अतिरिक्त अमर बलिदानी भाई मतिदास, भाई सतिदास, भाई बालमुकुन्द : स्वतन्त्रता सेनानी भाई परमानन्द, उनके सुपुत्र भाई डा० महावीर (भूत पूर्व गवर्नर, मध्य प्रदेश) तथा पंजाब के भूत पूर्व गवर्नर बी के एन छिब्बर की जन्म स्थली यही पवित्र नगर है।