कामद गिरि
कामद गिरि परिक्रमा की परिधि 5 कि.मी. है। इस पर्वत पर कामना देवी प्रतिष्ठित थी। भगवान श्री राम चित्रकूट पहुंचे तो उन्होनें राक्षसों से जनता को मुक्त कराने के लिए इस देवी की अराधना की थी। पर्वत पर स्थित इस मन्दिर में प्रवेश के लिए चारों दिशाओं में चार द्वार है। इन द्वारों के नाम इन्द्र, नील, महा नील, पहा राग और महा राग है। चित्रकूट वासियों की मान्यता है कि कामद गिरि की प्रथम परिक्रमा भरत ने की थी । मंदिर में स्थित कामता नाथ स्वामी की चार मूर्तियां हैं। एक मूर्ति पन्ना नरेश छत्रसाल की महारानी मान कुंवरि ने बनवा कर प्राण प्रतिष्ठा
एक मूर्ति पन्ना नरेश छत्रसाल की महारानी मान कुंवरि ने बनवा कर प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी। परिक्रमा मार्ग का निर्माण भी इसी महारानी ने करवाया था । उत्तर दिशा में मणियों से सुशोभित विश्वकर्मा द्वारा निर्मित मंदिर है। कामद गिरि के मध्य में संतानक वन है। इन वनों में ब्रह्मा जी द्वारा बनाया हुआ सरोवर है। पूर्व दिशा में नंदन वन है। वहां से निकली धाराएं कीर्तिमाला व ताम्रवर्णी नदियां कहलाती है। पश्चिम द्वार के ऊपर का वन पुष्प भद्र कहलाता है। वहां से चंद्रभागा और कोशकी नदियां निकलती है। उत्तर द्वार पर चेत्ररथ वन है और दक्षिण द्वार पर वैशिम्बिक वन है। ये वन पारिजात, हरि चंदर, कल्प वृक्ष व संतानक वृक्षों से भरपूर है ।
ये चारों दरवाजें मुखार बिंद कहलाते है। श्री राम व भरत का मिलाप इसी स्थान पर हुआ था, अधिकतर लोग यह परिक्रमा पैदल करतें है, और कई बिना जूते पहनें। श्री राम शैय्या स्थल कामद गिरि के पश्चिम में तीन कि.मी. की दूरी पर दो पर्वतों के मध्य में है । यह श्री राम व सीता का विश्राम स्थल था।
पूर्व मेघ मन्दिर जिस का निर्माण संत श्री रणछोड़ दास जी ने कराया था, चित्रकूट में ही है । यहां प्रतिदिन सैंकडों अभाव ग्रस्त लोगों व साधु सन्तों को भोजन कराया जाता है। इस का सारा व्यय मुफत लाल ट्रस्ट द्वारा उठाया जाता है। इसी ट्रस्ट द्वारा एक चिकित्सालय भी चलाया जाता है। कांच का मंदिर ज़िसका अन्य नाम तुलसी पीठ है, भी यहां
स्थित है इस मन्दिर में छोटे-2 कांच के टुकड़ों से मनोहर प्रतिमाएं बनाई गई हैं। इसके आतिरिक्त यहां गोयन का घाट और मांडवर आश्रम है ! गोयन घाट का निर्माण संग मर मर के पत्थरो द्वारा किया गया है। यह स्वर्गवासी श्री राम नाथ गोयनका की याद में बनाया गया है, रात्रि को बिजली का प्रकाश व फवारों का दृश्य बड़ा मनोहर लगता है।
ग्रामोदय विश्व विद्यालय परिसर सन् 1990 ई० में मध्य प्रदेश शासन द्वारा स्थापना की गई थी। इसमें लगभग 2000 छात्र शिक्षा प्राप्त करते है।
मांडवर आश्रम भरत कूप से 8 कि.मी. पर यह आश्रम, मांडव ऋषि की तपस्थली है। यहां शिव की तांडव मुद्रा मे नृत्य करती विशाल मूर्ति हैं। इस आश्रम के कुण्ड में स्नान करने से कुष्ट रोग दूर हो जाता है।