तू जग में सबसे प्यारा तेरा नाम श्री राम श्री राम तू ही बिगाड़े, ही संवारे इस जंग के सारे काम तू ही जग दाता, विधाता, तू ही राम, तू ही शाम। बड़ा ही पावन है चित्रकूट घाम | जग से न्यारा है चित्रकूट घाम । श्री राम जय राम जय जय राम ।। स्वतन्त्रता पा कर सालों तक उपेक्षा सह कर अब अराजकता की मार के कारण देश के नागरिक भविष्य निर्माण के लिए नवयुवकों की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे है। भारत की नई पीढ़ी देश के सामान्यजनों को निराश नहीं होने देगी। भारतीय जीवन पद्धति किसी को इसाई, यहूदी, पारसी, मुस्लिम के रूप में नहीं देखती, अपितु वह मानव को मानव मान कर व्यवहार करना सिखाती है। विश्व में भारत ही ऐसा देश है, जिस की नजर पराए धन सम्पदा पर कभी नहीं रही। श्री राम चन्द्र ने बाली को जीत कर सुग्रीव को किष्किंधा का राजा बना दिया। लंका जीतकर विभीषण को राज्य सिहांसन पर बैठा दिया। चित्रकूट का अधिकांश क्षेत्र विंध्याचल पहाड़ियों से घिरा है। वर्षा का पानी बह जाता है। अनेक गांवो में पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं होता। गांव के सभी वासी सामूहिक प्रयास करें तो वर्षा का पानी रोककर साल भर के लिए पानी का संचय किया जा सकता है। तीर्थ स्थान 1. संकट मोचन हनुमान जी चित्रकूट से लगभग 35 कि.मी. दूर पर हनुमान जी का मन्दिर है। संकट मोचन हनुमान जी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। 2. तुलसी तीर्थ यह धार्मिक स्थल चित्रकूट से लगभग 45 कि.मी. दूर है। गो स्वामी तुलसी दास द्वारा हस्त लिखित अयोध्या काण्ड अभी भी यहां सुरक्षित है। मंकर संक्रान्ति को यहां बहुत बड़ा मेला लगता है। 3. वाल्मीकि आश्रम बांदा-इलाहाबाद मार्ग पर चित्रकूट से 30 कि.मी. दूर यह आश्रम है। यहां वाल्मीकि ऋषि की प्रतिमा है । माघ महीने के चार सोमवारों तथा चेत्र के नवरात्रों पर यहां बहुत बड़ा मेला लगता है। इस पहाड़ी के नीचे एक नदी बहती है, जिसे वाल्मीकि नदी कहते है। 4. गणेश बाग कर्वी से 12 कि.मी. पर यह स्थान है। यहां पेशवाओं के समय के मन्दिर हैं 5. सूर्य कुण्ड : चित्रकूट से 10 कि.मी. दूर सूर्य कुण्ड है। इस स्थान पर रात दिन अखण्ड पांच यज्ञ अखण्ड रामायण, अखण्ड धूनि, अखण्ड राम नाम कीर्तन, अखण्ड ज्योति, अखण्ड राम नाम जप का आयोजन एक संत महात्मा के द्वारा कराया जाता है। त्योहार : चित्रकूट में निम्न पर्व मनाए जाते है । 1. राम नवमी चैत्र मास के नवरात्रों की नवमी तिथि को श्री राम जी का जन्म दिवस बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। 2. अमावस पर्व :- आषाढ़, भादों कार्तिक तथा माघ मास की अमावस्य को यहां विशेष मेला लगता है। इस अवसर पर मंदाकिनी नदी में दीप दान करने का विशेष महत्व है। 3. रथ यात्रा : आषाढ़ मास की प्रति पदा को यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सैंकड़ो श्रद्धालु भगवान के रथ को खीचतें हैं। यह पर्व सात दिन तक चलता है। झूला उत्सव :- सावन मास की अमावस के बाद तीज को प्रत्येक मन्दिर में ठाकुर जी का झूला – उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव रक्षा बंधन तक 13 दिन चलता है। इन दिनों भजन-कीर्तन होता रहता है। 4. जन्म–अष्टमी :- भादों मास की कृष्ण अष्टमी में श्री कृष्ण जन्म उत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। 5. जल – विहार :- भादों मास की एकादशी को यह त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार में प्रतिमाओं को सजा कर नौकाओं पर बैठा कर मंदाकिनी नदी में नौका विहार कराया जाता है। 6. विवाह पंचमी अगहन मास की पांचवी तिथि को श्री राम चन्द्र का विवाह हुआ था। प्रति वर्ष इस तिथि को श्री राम को दूल्हे के रुप में सजाया जाता है। बारात व शोभा यात्रा निकाली जाती है। श्रद्धालुओं द्वारा स्थान – 2 पर श्री राम की आरती उतारी जाती है। व बारातियों का स्वागत किया जाता है । 7. रामायण मेला :- प्रतिवर्ष फाल्गुन ( फरवरी के अन्त) मास में चित्रकूट में रामायण मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में देश के विभिन्न स्थानों से विद्वानों को आमंत्रित किया जाताहै। कथा वाचकों द्वारा राम कथा सुन कर श्रोता मंत्र मुग्ध हो जाते है । रात्रि को राम लीला, रास लीला आदि धर्मिक मनोरजन कार्यक्रम होते है। 8. आवासीय सुविधा चित्रकूट में समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए आर्थिक स्थिति के अनुसार ठहरने की व्यवस्था है। उतर प्रदेश क्षेत्र में आवासीय सुविधाएं धर्मशालाएं आदि निम्न हैं :
1. सीतापुर धर्मशाला 2. कलकता धर्मशाला 3. श्री राम धर्मशाला 4. आगरा धर्मशाला 5. रानी कोठी 6. गुजरात भवन सन्तों के अखाडे : 1. अखिल भारतीय निमोही अखाड़ा 2. दिगम्बर अखाड़ा 3. निर्वाणी अखाड़ा 4. सन्तोषी अखाड़ा मध्य प्रदेश क्षेत्र में आवास 1. पर्यटन गृह 2. पी. डब्लयू. डी. विश्राम गृह 3 यात्रिक ( प्रमोद वन) 4. त्रिपाठी लॉज 5. रोहिणी लॉज धर्मशालाएं: पाल धर्मशाला, ठकुराइन, सोनी, गहोई नामक धर्मशालाएं तथा अन्य छोटे-2 विश्राम गृह लोगों ने अपने घरों में बनाएं हुए हैं। अखाड़े: निरालम्बी अखाड़ा आचार्य मन्दिर बड़ी गुफा (जानकी कुण्ड) वेदान्ती आश्रम (जानकी कुण्ड) पीली कोठी, कामद गिरि !