जीसस क्राइस्ट इसाई मत के संस्थापक थे। उनकी जन्मतिथि के विषय में पूरी जानकारी नहीं है। जीसस क्राईस्ट यूनानी भाषा के शब्द हैं। हैब्रू भाषा में जीसस को ‘जीशू और क्राईस्ट को मसीहा कहते हैं। जीसस के पिता का नाम जोसफ था। उसकी सगाई मैरी से हुई थी उसे जब पता चला कि विवाह से पहले ही मेरी गर्भवती है, वह उसे त्याग देना चाहता था। परन्तु गेब्रल दूत ने उसे कहा, “मेरी का गर्भ एक पवित्र आत्मा के द्वारा विशेष चमत्कार है।” जोसफ मेरी को लेकर योरोशल्म से आठ किलो मीटर दूर एक अस्तबल में पहुंचा, वहीं जीसस का जन्म हुआ। 39 ई0 पूर्व राजा हेरोड ने ‘मागई’ से जीसस के पैदा होने का समाचार सुना तो उसने सभी नवजात शिशुओं की हत्याऐं शुरू कर दी क्योंकि हेरोड जीसस को अपना विरोधी समझता था। जोसफ को देवी शक्ति ने सपने द्वारा सावधान कर दिया। वह पत्नी मेरी और बच्चे को लेकर मिस्र भाग गया। 30 वर्ष तक जीसस का किसी को पता नहीं चला। उसके बाद जीसस के चचेरे भाई ने उसे मसीहा के रूप में पहचान लिया। जीसस ने 40 दिन व्रत, उपवास आदि के साथ ध्यान लगाया और सांसारिक प्रलोभनों से स्वयं को प्रभावित नहीं होने दिया। तत्पश्चात् उसने अपना मंत्रिमण्डल बनाया, जो लगभग 3 वर्ष 6 मास रहा। अनुमान है कि मंत्रीमण्डल बनाने से पूर्व ही जोसफ की मृत्यु हो गई। जीसस के 12 शिष्य थे, जो उसके सिद्धान्तों का प्रचार करते थे। उसकी मुख्य यात्राएं ग्लीली सागर तट के आसपास रही। वहीं वह भीड़ को उपदेश देता ओर चमत्कार दिखाता था यथा – मृत को जीवित कर दिया ! रोगियों को चमत्कार से ठीक कर दिया। एक विवाह समारोह में शराब
खत्म हो गई जीसस ने पानी को शराब में बदल दिया। जीसस ने रोटी के पांच टकडे और दो मछलियां पांच हजार लोगों में बांट दी। उसने पानी से चलकर सभी को हैरान कर दिया आदि आदि। (अभी भी ईसाई पादरी भोले भाले लोगों को इसाई धर्म में लाने के लिए नये- नये हथकण्डे उपयोग में लाते है)
जीसस के बढ़ते प्रभाव को देखकर हैद्र बस्तियों में उसका विरोध होने लगा। उस पर दोषारोपण किया गया कि वह स्वयं को ईश्वर का पुत्र कहता है। अन्तिम रात्रि भोजन के पश्चात् वह जोरोशल्म के उपवन में प्रार्थना के लिए गया, उसके एक शिष्य ने उसे पकड़वा दिया। जीसस को क्रूसीफिकेशन द्वारा मृत्यु दण्ड दिया गया। यह सख्त दण्ड चोरों और सत्ता के विद्रोहियों को प्रायः दिया जाता था। जीसस का मत्यु दिवस गुड फ्राई डे के रूप में मनाया जाता है। अनुमान है कि जीसस को मृत्यु दण्ड 29-30 ई0 को दिया गया था। उसके शिष्यों ने ईसाई धर्म के विस्तार, के लिए खून की नदियां बहा दी। इसाई धर्म और हिन्दु धर्म संस्कृति में धरती आकाश का अन्तर है। हम जीवात्मा को परमात्मा का अंश मानते है इसाई धर्म में मनुष्य जन्म से ही पापी है।
इसाई समाज चर्च में सामूहिक प्रार्थना करता है। प्रार्थना दो प्रकार की होती. हैं. प्रथम “वपतिस्म” अर्थात् व्यक्ति को इसाई धर्म में लाना। द्वितीय “लास्ट सप्पर” या “अन्तिम रात्रि भोज”। इस समय प्रार्थी इकट्ठे ब्रेड खाते और शराब पीते हैं। ऐसा करना जीसस के साथ तथा परस्पर एकता का लक्षण है। जीसस ने अन्तिम रात्रि भोज में कहा था. “मेरे शिष्यों में एक मुझे धोखा देगा। उन्होंने शिष्यों को ब्रेड देते हुए कहा, “यह मेरा शरीर है.” शराब देते हुए कहा, “यह मेरा, रक्त है।
हिन्दु धर्म के साथ तुलना कीजिए, हमारे किसी धर्म गुरु ने शिष्यों को अपने हाथों से शराब नहीं दी। धार्मिक स्थलों पर, शराब, मांस आदि रखना वर्जित है। लगभग 250 वर्ष टोमन शासक इसाइयों को खत्म करते रहें। 313 ई० को रोमन शासक ने इसाइयों को प्रार्थना की स्वीकृति दे दी। 392ई० में इसाई धर्म सरकारी धर्म बन गया।
गोस्पल
गोस्पल का अर्थ अच्छा समाचार है। न्यू टेस्टामेण्ट ऑफ बाईबल की प्रथम चार पुस्तके जीसस के जीवन और चामत्कारिक उपदेशों के स्रोत हैं। मैथ्यू, मार्क, स्यूक और जोन इन चार व्यक्तियों ने ये लिखी हैं। इनमें से कोई भी पुस्तक जीसस के पूरे जीवन की कहानी नहीं बताती।
वैटिकन नगर :
वैटिकन नगर रोम के उत्तर-पश्चिम पर्वत पर लीवेर नदी पर है। यह रोम नगर के भीतर 44 एकड़ में फैला है, परन्तु इटली निवासियों के लिए यह स्थान विदेश की तरह है। इसकी जनसंख्या लगभग एक हजार है। सन् 1930 ई0 की सन्धि के अनुसार यह स्वतन्त्र राज्य हैं। यह नगर पत्थरों की ऊँची दीवारों से घिरा है। वैटिकन महल में एक हजार कमरे हैं। इनमें कई प्रार्थना स्थल पुस्तकालय, म्यूजम, खुले कोर्ट, पोप का निवास स्थान और सचिवालय कार्यालय आदि हैं। पोप, इस छोटे से राज्य का निरंकुश शासक है। रोमन कैथोलिक चर्च की दोनों शक्तियाँ आध्यात्मिक और प्रबन्धन, इसके अन्तर्गत हैं।
वेस्ता.
वेस्ता रोमन वासियों की पारिवारिक देवी है। प्राचीन रोम में ‘चूल्हा’ पारिवारिक जीवन का केन्द्र था। प्रत्येक के घर परिवार में एक धार्मिक स्थल होता है। जहां वेस्ता की अराधना की जाती है. वेस्ता शनि की बेटी और जूपिटर की बहिन थी। शनि उपज और फसल कटाई का देवता है। और जूपिटर देवताओं का प्रमुख है। वेस्ता रोम नगर की रक्षक भी है। जब राजा युद्ध के लिए जाता था तो वह नगर की रक्षा करती थी। रोम में वेस्ता का एक मंदिर है। जहां अखण्ड ज्योति जलती रहती है।
प्रोटैस्टैण्ट्स मत
इस मत के प्रवर्तक लूथर माटर्न है। लूथर मार्टन का जन्म 10 नवम्बर, 1483 ई० में जर्मनी में हुआ था। सन् 1501 ई० में यह इस्फर्ट विश्वविद्यालय में दाखिल हो गया। वह वकील बनना चाहता था परन्तु 1505 ई0 में इसाई मठ में दाखिल हो गया और धार्मिक प्रशिक्षण के पश्चात् 1507 ई० में धार्मिक नेता बन गया। 1512 ई० में थियोलोजी में डॉक्टर की उपाधि लेकर बिट्टनबर्ग में प्रोफेसर लग गया और अन्त तक वहीं रहा। लूथर स्थापित इसाई सिद्धान्तों के विरूद्ध था और उनमें सुधार लाना चाहता था। किसान और नगरवासियों ने इसका समर्थन किया। इस सुधारवादी आंदोलन का लोगों द्वारा बहुत स्वागत हुआ। इसके अनुयायी ‘प्रोटेस्टैण्टस’ कहलाए। कैथोलिक और प्रोटेस्टैण्टस में विभाजन हो गया। कई प्रोटेस्टेन्ट की हत्याएं की गई। इस विभाजन ने राजनैतिक और सांस्कृतिक रूप से योरूप और अफ्रीका के सभी प्रान्तों को प्रभावित किया। मार्टन लूथर ने जर्मन भाषा में बाईबल का अनुवाद किया। 18 फरवरी, 1546 ई० में उसका अन्त हो गया। कैथोलिक ईसाइयों और प्रोटेस्टेण्ट इसाईयों के सिद्धान्तों में कुछ अन्तर हैं। प्रथम के धार्मिक नेता पादरी, ननस आदि अविवाहित होते हैं। द्वितीय में ये विवाह कर सकते हैं। प्रथम में गर्भपात नहीं करते, द्वितीय में गर्भपात में कोई आपत्ति नहीं। प्रथम में तालाक अमान्य है. द्वितीय में मान्य है।
सन् 1960 ई० रोमन कैथोलिक चर्च ने कई सुधार किए, उनमें एक यह था कि लैटिन भाषा में प्रार्थना करने की अपेक्षा आम जनता की भाषा में प्रार्थना होनी चाहिए। यह सुझाव लगभग 400 वर्ष पूर्व लूथर मार्टन ने दिया था।