ऋषिमित्रायु – मैत्रेय मित्रायु भार्गव ऋषि थे। इनकी कन्या का नाम मैत्रेयी था। हरिवंश पुराण के अनुसार यह शाखा प्रवर्तक आचार्य था, जिससे मैत्रेय ब्राह्मण और मैत्रायणी शाखा उत्पन्न हुई। मैत्रेय पांचाल देशका ब्रह्मक्षत्रिय राजा था। अपने दादा दिवोदास तथा पिता मित्रायु की तरह यह भृगुवंशियों में शामिल हो गया था। इसलिए इसे मैत्रेय भार्गव भी कहा जाता है। पराशर ऋषि ने इसे विष्णु पुराण का ज्ञान कराया था। दिवोदास तथा इसके पिता वध्र्यश्व दोनों वैदिक सूक्तदृष्टा थे।
दिवोदास का पुत्र मित्रायु था और मित्रायु के चार पुत्र हुए जिनके नाम थे च्यवन, सुदास, सहदेव तथा सोमक। सोमक जन्तु का पिता था। सोमक के एक सौ पुत्र थे जिनमें सबसे छोटा पृषत था। पृषत से राजा द्रुपद उत्पन्न हुआ जो सभी प्रकार से ऐश्वर्यवान था। महाराज द्रुपद से द्रौपदी उत्पन्न हुई। महाराज द्रुपद के कई पुत्र भी थे जिनमें धृष्टद्युम्न प्रमुख था। उसके पुत्र का नाम धृष्टकेतु था। ये सारे पुरुष भर्म्याश्व के वंशज या पाञ्चालवंशी कहलाते हैं। अजमीढ का दूसरा पुत्र ऋक्ष नाम से विख्यात था। ऋक्ष से संवरण, संवरण के उसकी पत्नी सूर्यपुत्री तपती के गर्भ से कुरु हुआ जो कुरुक्षेत्र का राजा बना। कुरु के चार पुत्र थे—परीक्षि, सुधनु, जह्नु तथा निषध। सुधनु से सुहोत्र, सुहोत्र से च्यवन और च्यवन से कृती उत्पन्न हुआ। कृती का पुत्र उपरिचर वसु था और उसके पुत्रों में, जिनमें बृहद्रथ प्रमुख था, कुशाम्ब, मत्स्य, प्रत्यग्र तथा चेदिप थे। उपरिचर वसु के सारे पुत्र चेदि राज्य के शासक बने। मैत्रेय परसारा के शिष्य थे। विष्णु पुराण में यह कहा जाता है कि मैत्रेय के गुरु परसारा भागवत में मुख्य वार्ताकारों में से एक थे। उन्हें महाभारत में एक महान ऋषि या ऋषि के रूप में भी वर्णित किया गया है, जिन्होंने दुर्योधन की मृत्यु की निंदा की।
Sage Mitrayu – Maitreya Mitrayu Bhargava was a sage. His daughter’s name was Maitreyi. According to the Harivansh Purana, this branch was promoter of Acharya, from which the Maitreya Brahmin and Maitrayani branch originated. Maitreya was a Brahmakshatriya king of Panchal country. Like his grandfather Divodas and father Mitrayu, he joined the Bhrigu dynasty. That’s why he is also called Maitreya Bhargava. Parashar Rishi had given him the knowledge of Vishnu Purana. Divodas and his father Vadhryashva were both Vedic Suktadrishta. Divodas’s son was Mitrayu and Mitrayu had four sons whose names were Chyavan, Sudas, Sahdev and Somak. Somak was the father of Jantu. Somak had one hundred sons, of whom Prishat was the youngest. King Drupada was born from Prishat who was opulent in every way. Draupadi was born from Maharaj Drupada. Maharaj Drupada also had many sons, among whom Dhrishtadyumna was the chief. His son’s name was Dhrishtaketu. All these men are called descendants of Bharmyashva or Panchalvanshi. The second son of Ajmidh was famous by the name of Riksha. Samvaran from Riksha, from the womb of Samvaran’s wife Suryaputri Tapati, Kuru was born who became the king of Kurukshetra. Kuru had four sons-Parikshi, Sudhanu, Jahnu and Nishadha. Suhotra was born from Sudhanu, Chyavana from Suhotra and Kriti from Chyavana. Kriti’s son was Uparichar Vasu and among his sons, among whom Brihadratha was the chief, were Kushamba, Matsya, Pratyagra and Chedip. All the sons of Uparichar Vasu became the rulers of the Chedi kingdom. Maitreya was a disciple of Parasara. In Vishnu Purana it is said that Maitreya’s guru Parasara was one of the chief interlocutors in the Bhagavata. He is also described as a great Rishi or sage in Mahabharata who denounced Duryodhana’s death.