A poem
जब मुसीबतों का दौर चलता है वक्त खुद बखुद रंग बदलता है क्या करूँ क्या कहूँ क्या लिखूँ क्या गाऊँ किस वास्तविकता से आपका परिचय कराऊँ मन पग-पग पर दोस्ती निभाने के लिए मचलता है जब मुसीबतों का दौर चलता है वक्त खुद बखुद रंग बदलता है दोस्त या. दोस्ती का अर्थ हम कैसे सबको समझाएं जाति, धर्म या वंश से इसकी हम पहचान कैसे कराएं हर रिश्ते से ऊपर इसका औहदा कहलाता है जब मुसीबतों का दौर चलता है वक्त खुद बखुद रंग बदलता है _ मोहन आलोक¸