उदास मन टू टा सा तारा
ढूँड रहा यह कुछ बेचारा
अंधेरों . में एक सहारा
चमकते बुझते भूला रहा याद
आकाश भेधता यह टूटा तारा
जानता हैं की अंत अब करीब है
राख बनेगा यही अब नसीब है
फिर भी झूम के
मानो कर रहा इशारा
उदास मन टूटा सा तारा
अपनी राह पर चलता
असमान का टूटा तारा
अपने अंत से प्रेम कर बैठा
हैं यह बेचारा
मिलन को व्याकुल और उर्जावान
अंतिम सफर नहीं अब आसान
फिर भी जा रहा छोड सहारा
उदास मन मानो टूटा सा तारा _
मोहन आलोक