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झुलसे पंखां दी उडान

“झुलसे पंखां दी उडान”

Lyrics by Cdr Alok Mohan,
Copyright (©) Cdr Alok Mohan
जिक्र उसदा किता, बिना नाम लए,
मेरियां किताबां विच वी, ओ मशहूर हो गया,
मैं इश्क़ कीता सी इबादत वांग,
ओ खुदा होण दी हौंक च ही फिदा हो गया।

मेरी साहवां विच वी उसदी खुशबू मिलू,
बिन कहे गल्लां मुकम्मल हो गईयां,
मैं लिखिया सी मुहब्बत नू दुआवां विच,
ओ हर दुआ तों, वद्ध के मंज़ूर हो गई।

मेरी तनहाईयां विच ओ शामिल सी ,
रूह तक पहूँचन दी वी, उदी आदत बन गई,
मैं दिलों चाहिया सी ओनू,
पर ओही चाहत मेरी लई इक  सज़ा बन गई।

सावण वी रोया सी साडी जुदाईयां विच,
असमान ने वी ओदूँ आहां भरीयां,
मैं चुप रहिया, हर दर्द सह के,
पर अखां उसदीयां, सब बयान कर गईयां।

अजे वी किते ओ ग़ज़ल वांग वसदी,
मेरी अधूरी हिकायत विच,
मैं लिखिया ओनू हर अल्फ़ाज़ विच,
पर ओ खो गयी, मुहब्बत दी रवायत विच।

इश्क नू मेरी कमजोरी ना समझी,
असीं राखां चों फिर नवीं लौ बलाई ऐ,
झुलसे पन्खां नाल उड़ान भरी ऐ ते,
हर ठोकर ने नवीं सबक सिखाई ऐ।

मौन हुंकार मेरी पहचान बनी,
सन्नाटियां विच वी मेरी आवाज़ गूंजे,
असीं चुप रहे तां ना समझना कमजोर,
साडे सबर दी गहराई नू कौई ना  बूझे?

तेरी मंद-मंद मुस्कान ही मेरी दौलत,
तेरे होण नाल, मेरा वजूद खिल जान्दा है,
तेरे आउण दे सुपने वी ऐवें कि ,
मेरे दिल दा हर तार वज जांदा  है।।

लोक लभण, सोने दी नगरी च जन्नत,
पर मैंनू तां दुनिया तेरे च मिलदी ऐ,
तेरे इश्क़ दी रोशनी च ऐना डुब्बिया,
कि हर राह मैंनू, तैथों जुड़दी दिसदी ऐ।

टुट्टे सुपनियां तों सिखिया चलणा,
हर दर्द नू अपना मुकद्दर समझया,
वेखिया है असीं लोकां नू गल्लां नाल छलणा,
झूठियां मुस्कानां च सच नू बदलया।

हर किसी ने इथे बस  रचे,
दिल दे सौदे, जो सरेआम हो गए,
असां  चाहिया सी, जज़्बातों दी दौलत,
पर रिश्ते वी  हुन नीलाम हो गए।
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