Dr Lajja Devi Mohan
Dr Lajja Devi Mohan
(11 Sep 1926 -15 Feb 2023) Dr Lajja Devi Mohan , was born on 11 Sep 1926 in Chuk No 468, Tehsil Samundri District layalpur ( Now in Pakistan) & grew up in a middle-class Sikh family. She was born and brought up “on nationalist fervour” as a daughter of veteran freedom fighter Giani Balwant Singh Dutt a Social Reformer. She, therefore spent her childhood under the care of her Grand mother ( Maternal) Mrs Prem Devi Bali & Mama Raizada Mulkhraj Bali at Jammu, Who used to narrate her stories regarding sacrifices of Guru Teg Bahadur, Bhai Mati dass & Bhai Sati Dass, Sahibjades of Guru Gobind Singh, Bhagwan Ram Krishan & Hanuman & these stories left a deep impression & sense of proud in her mind. She qualified Class X to post graduation after her marriage with Dr Mehta vasishtha Dev Mohan, an eminent historian . She qualified Post Graduation in Hindi & did her PHD from Punjabi University under the able guidance of Dr Mehta Vasishtha Dev Mohan. The Subject of her research work for PHD was “ Comparative Study between Ramacharitmanas & Ramavtar ( Shri Dusham Granth Sahib) She has authored many books and several research papers. Some of her contributions include a famous novel based on the events related to formation of Bangladesh during 1971 Indo Pak War, Several Research Papers, short Story Books for Children. Her Research Papers were published in Indological Journal ( Main journal of Panjab University) and Vishwa Jyoti ( A magazine being published by Vedic Research Institute) Some of her Research Papers were also read in Seminars of Oriental Conference. Some of her Articles & Stories based on Biographies of Hindu Ancestors & based on Journeys were also published in the Language department of Panjab, “Panjab Saurabh”, famous magazine “Jahanvi”, “Mohyal Times” & “Mohyal Mitter” magazines. Her research papers were also published by Indian Council of Historical Research. She was a fellow member of Indian Council of Historical Research for four years. Some of her contributions like translation on Bhai Gurdas’s Gyan Ratnawali (Tika Bhai Mani Singh) is yet to be published. She was also a member of All India Oriental Conference, Authors Guild of India and Indian Society of Authors. She is a life member of “Lekhika Sangh, New Delhi.She ran a charity school till Class VIII at Panipat, Haryana for educating underprivileged children for several years. Her main mission of life was to Spread awareness about Hinduism & our cultural Inheritance. Dr Lajja Devi Mohan was awarded by General Mohyal Sabha (Regd) the Brahman Community, with an honour ie “Mohyal Gaurav” for her extraordinary& exemplary community services. She was also honoured by Himalaya Aur Hindustan Award by “Himalaya Aur Hindustan Multi Media Net Work” by the President RIMPPA, Delhi Mr J K Gupta, Dr Ravi Rastogi the President of Himalaya Aur Hindustan Multi Media Net Work” & the Chief Guest Mr Rana Inder Singh on 30 Dec 2007. Sh left for heavenly abode on 15 Feb 2023. I am confident that her work on Religious history of India and hindutva philosophy, her passion in authoring books and her beliefs, shall guide many coming generations of the followers of Sikhs and Sanatana Dharma.
Nepal Yatra
₹100.00
कुछ समय पूर्व नेपाल एक हिन्दू राज्य था ! यह देश भव्य मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है ! इन मंदिरों का धार्मिक एतिहासिक व् सांस्कृतिक महत्व है ! इन के अतिरिक्त कई अन्य प्राकृत सौन्दर्य से परिपूर्ण स्थल भी हैं ! यहाँ पोर्वारा, मुक्तिनाथ धाम, काठमांडू, सिम्रंगढ़, देलेख व् जनकपुर दर्शनीय स्थान भी हैं ! महात्मा बुध हिन्दुओं के अवतार हैं और उनका जनम स्थान नेपाल है ! इस पुस्तक में इस महान देश के इतिहास पर भी प्रकाश डाला गया है ! इस के साथ यहाँ के वासी और यहाँ के रीति रिवाज व् पर्वों व् त्योहारों का उल्लेख भी है
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Tulsi Or Govind Ke Ram Kavya
₹50.00
राम काव्य
इस पुस्तक में बाल्मीकि रामायण से लेकर १९४७ ईसवी तक राम कथा सम्बंधित विभिन्न भारतीय भाषाओं में रचित साहित्य का संक्षेप में वर्णन है ! वैदिक साहित्य में राम कथा के पात्रों का उल्लेख है महाभारत पूरण तथा पुरानेत्र साहित्य में संस्कृत भाषा में राम कथा सम्बन्धी महा काव्य खंड काव्य विलोम काव्य नीति काव्य चम्पू काव्य उपलब्ध हैं बोध साहित्य के अंतर्गत पाली भाषा में रचित तीन जातकों में राम कथा मिलती है जैन साहित्य में संस्कृत प्राकृत अप ब्रंश व कन्नड़ भाषा में राम कथा सम्बन्धी रचित साहित्य है हिंदी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास रचित राम चरित मानस भक्ति काव्य है अन्य रचनाएँ जैसे भरत मिलाप रामचंद्रिका हनुमान नाट्य गोसाईं गुरुवाणी आदि है श्री दशम ग्रन्थ साहिब में राम अवतार में श्री राम के जन्म से लेकर स्वर्गारोहण तक की पूरी कथा है प्रमुख कवी अगरदास नाभा दास बाबा राम स्नेही विश्वनाथ सिंह आदि का भी वर्णन है।
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Ram Kavya
₹250.00
Ram Kavya
This book includes brief description of Balmiki Ramayan to Ram katha literature and main characters of Ram Katha written in different languages of India. For example 1. Maha Bharat, Puraan, Ram Katha, maha kavya, khund kavya, Vilom Kavya, Giti Kavya, Champu Kavya written in sanskrit 2. Ram Katha written in pali language of Bodh literature 3. Ram Katha written in sanskrit, Prakrit, upbhransh & kannad of jain literature 4. Ramcharit Manas written in Hindi by Goswami Tulsi dass. There are many other contributions various sects of early India. For example Bharat Milaap, Ram Chandrika, Hanumaan natak, Gosaai Gur wani, Shri Dasham Guru Granth sahib which describes about Ram from Birth to Swargarohan. During 18th & 19th century Ram Kavya was written in Punjabi. During the end of 18th century, many eminent poets & writers like Bhartendu Harish Chander, Balmukund Gupt, Radha Krishan Dass, Ram Charit Upaadhaya, Surya Kant Tripathi and Swami Satyanand jee had contributed in this subject.
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राम काव्य
इस पुस्तक में बाल्मीकि रामायण से लेकर १९४७ इसवी तक राम कथा सम्बंदित विभिन भारतीय भाषाओँ में रचित साहित्य का संक्षेप में वर्णन है वैदिक साहित्य में राम कथा के पात्रों का उल्लेख है ! महाभारत पूरण तथा पुरानेत्र साहित्य में संस्कृत भाषा में राम कथा सम्बन्धी महा काव्य खंड काव्य विलोम काव्य गीति काव्य चम्पू काव्य उपलब्द हैं ! बोध साहित्य के अंतर्गत पली भाषा में रचित तीन जातकों में राम कथा मिलती है ! जैन साहित्य में संस्कृत प्राकृत अप ब्रंश व् कन्नड़ भाषा में राम कथा सम्बन्धी रचित साहित्य है ! हिंदी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास रचित राम चरित मानस भक्ति काव्य है! अन्य रचनाएँ जैसे भरत मिलाप रामचंद्रिका हनुमान नाट्य गोसाईं गुरुवाणी आदि है! श्री दशम ग्रन्थ साहिब में राम अवतार में श्री राम के जनम से लेकर स्वर्गारोहण तक की पूरी कथा है! प्रमुख कवी अगरदास नाभा दास बाबा राम स्नेही विश्वनाथ सिंह आदि का भी वर्णन है!
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Punarmilan
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पुनर्मिलन बंगला देश के मुक्ति आन्दोलन का जीवित सत्य है ! लेखिका ने बंगलादेश के आज़ादी के युद्ध और मुक्ति आन्दोलन का चित्रण अत्यदिक प्रभावशाली और हरदया विदारक रूप से किया है ! पाकिस्तानी शासक याहिया खान और उसके बर्बर नौकर शाहों के अत्याचारों से तंग आ कर मुस्लिम जन समुदाय का भारत की और शरण प्राप्ति के लिए प्रवाह इस उपन्यास में मनोविज्ञानिक रूप से किया गया है ! विक्षिप्त विद्वस्त परिवारों का फिर से पनपना क्रांति से झुलस कर बच निकले सदस्यों का पुनर मिलन और घावों भरे हर्द्यों का विविद तथा प्रतिसपर्दी भावनाओं का शब्द चित्र विशेष आकर्षक है ! बिछुरे शिशु को पा कर मातरी हर्दय आनंद के आंसू बहता है ! सभी पात्रों का चित्रण उन की स्थिति के अनुरूप और सवाभाविक है आशा है हिंदी जगत इस उपन्यास को यथा योग्य स्थान देगा
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पाकिस्तान की आधार शिला किसी ऊँचे आदर्श पर नहीं रखी गयी थी ! ब्रिटिश सरकार ने जिन्नाह और मुस्लिम लीग के जिद पर पाकिस्तान बनाया था ! जिन्नाह जो मुंबई का रहने वाला था, उसको ब्रिटिश सरकार ने पाकिस्तान को बतोर तोहफा दिया. पाकिस्तान को बनाने में और जिन्नाह की मुराद पूरी करने के पीछे प्रेरणा स्रोत मानव हरदे की निक्रिशत भावनाओं धरामंद्ता घृणा द्वेष स्वार्थ आदी थे
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Jai Bharat Mata
₹250.00
जय भारत माता
हिन्दू धर्म के सरंक्षण का इतिहास इस पुस्तक में चार अध्याय हैं प्रथम अध्याय में भारतीय धर्म संस्कृति की विशेषताएं विश्व के प्रमुख धरम यूनान के दार्शनिक ईसाई व् इस्लाम धरम के पूर्व विश्व की स्थिति पूर्वी द्वीप समूह आस्ट्रलिया कम्बोडिया जावा सुमात्रा श्री लंका बर्मा आदि देशों का वर्णन है द्वितीय अध्याय भीष्म का परशुराम युद्ध से आरंभ होता है ततपश्चात राम रावन युद्ध राजा पुरुष मौर्या शुंग गुप्त वंश के राजाओं तथा हर्षवर्दन का वर्णन है तृतीय अध्याय में सिंध प्रदेश के राजा दाहर महमूद गजनवी के भारत अकर्मण तमूर लंग पृथ्वी राज चौहान आचार्य रामानंद चैतन्य महाप्रभु, पुर्तगालीओन के अत्याचार मंगेश मंदिर मुग़ल बादशाहों का इतिहास वीर शिव जी सिख पन्त रजा राम मोहन राय के विषय में जानकारी है चतुर्थ अध्याय में नाम धारी पंथ उन के नियम स्वामी राम क्रिशन परम हंस स्वामी दयानंद स्वामी विवेकानंद माक्स मूलर विभिन संस्थाओं आर्य समाज देव समाज हिन्दू महा सभा RSS सुभाष चंदर बोस सोम नाथ मंदिर का निर्माण, स्वंत्रता के साथ देश विभाजन हिन्दू धर्म संस्कृत के सरंक्षण में भारतीय नारी का योग दान आदि का वर्णन है
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Hamaare Poorvaj
₹250.00
हमारे पूर्वज
भारत एक देव भूमि है हमारा धर्म संस्कृति किसी एक व्यक्ति द्वारा स्थापित नहीं की गयी बल्कि असंख्य ऋषि मुनियों की तपस्या का फल है ! उन्होंने देव वाणी संस्कृत में रचित अक्षय ज्ञान का भंडार हमें दिया था ! ऋषि मुनि केवल ब्राहमिनों के ही पूर्वज नहीं, बल्कि चार वर्णों के गोत्रकार हैं ! हमारे पूर्वज पुस्तक में एश्वकू वंश के गुरु वशिष्ठ के अतरिक्त उनके वंशज पराशर व् व्यास भृगु वंश के प्रमुख ऋषि जमदगिन परशुराम बाल्मीकि मार्कंडेय पान्निनी कश्यप शांडिल्य संदीपन अंगीरा कुल के भरद्वाज, द्रोणाचार्य पंताजलि धन्वन्तरी का उल्लेख है! इनके अतरिक्त पुल्सत्य विश्वमित्र याज्ञवल्क्य ऋषि तथा अगस्त गौतम व् अत्री वंश के ऋषियों का वर्णन है पुलह कर्तु चाणक्य व् चरक आदि का भी उल्लेख किया गया है ! ऋषियों के वर्णन से पूर्व ब्रह्मा प्रजापति नारद इन्द्र आदि का परिचय भी दिया गया है आधुनिक विज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मा एक व्यक्ति ना हो कर प्रत्येक युग का प्रमुख विद्वान् है ! प्रजापति नारद व् इन्द्र एक व्यक्ति न हो कर कुछ उपाधियाँ है
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Ayodhya Ke Pramukh Raja
₹250.00
अयोधया के प्रमुख राजा
इस पुस्तक में ईश्वाकु से लेकर गुप्त काल तक के अयोधिया के प्रमुख राजाओं का उल्लेख है इश्वाकू काकुत्स युव्नाशव मनदाता हरिश्चंदर सगर दिलीप भागिरिथ रघु अज दशरथ श्री रामचंदर व उनके भाई तथा पुटर कुश और लव का वर्णन है प्रसेन जित ने बोध धरम अपना लिया था l मौर्य वंश का अंतिम राजा वृहद्रथ था l वह दुर्लब और कायर साबित हुआ l उसके सेनापति पुष्य मीटर ने राजा का अंत कर राज्य की बागडोर अपने हाथ में ली l शुंग वंश ने लगबग ११२ वर्ष राज्य किया गुप्त वंश के प्रकर्मी राजा चंदेर्गुप्त समुन्देर्गुप्त सकंद गुप्त व कुमार गुप्त के शासनकाल में समस्त भारत को एक सूत्र में बांधा नरसिंह ने हूणों के अकर्मण को रोका था. इतिहास गुप्त काल को सवर्ण युग मनाता है
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भारत दर्शन
भारत दर्शन पुस्तक के दो भाग हैं:- प्रथम भाग में दुर्गम घाटीयों व बर्फीले क्षेत्रों के यात्राओं का तथा द्वितीय भाग में मैदानी क्षेत्रों का वर्णन है! पर्वतीय क्षेत्रों की यात्राओं में जोगिन्दर नगर धर्मशाळा त्रुन्ड़ खजियार मणि महेश गंगोत्री गोमुख कुल्लु मनाली सोलंग घाटी मणिकरण क्षीर गंगा यमनोत्री केदारनाथ बद्रीनाथ श्री हेमकुन्ठ साहिब की यात्राओं का वर्णन है! द्वितीय भाग के अन्तरगत लुधियाना से अयोधया लखनउ वाराणसी नालंदा राजगीर, चयवन ऋषि का आश्रम, धोसी भोपाल साँची उज्जैन नागपुर सेवा ग्राम पोणार रामगिरी प्रयागराज , कन्या कुमारी, रामेश्वरम मुंबई गोवा शिरडी जगन्नाथपुरी कोणार्क श्री नगर त्रिपुति महाबली पुरम कांची द्वारका सोमनाथ आदि यात्राओं का वर्णन है !
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Ayodhya Chitrkoot
₹250.00
अयोधया चित्रकूट दर्शन
इस पुस्तक में अयोधया के प्राचीन इतिहासिक मंदिरों राम जन्म भूमि हनुमान गढ़ी तुलसी स्मारक, बाल्मीकि रामायण भवन, गुरुद्वारा नज़रभाग व् ब्रहम्कुंड़ अयोधया जी के टीलों अखाड़ों सरयू के घाटों का उल्लेख किया गया है ! प्रत्येक मंदिर के साथ धर्मशाला है ! यहाँ यात्री आराम कर सकते हैं ! अयोधया के प्रयाग राज बस द्वारा ७ घंटे और प्रयाग से चित्रकूट लगभग ४ घंटे लगते हैं ! चित्रकूट विन्धयाचल की सुरम्य घाटी में बसा तीर्थ स्थान है ! बाल्मीकी के परामर्श से श्री राम चंदर जी ने बनवास काल के लगभग ११ वर्ष गुजरे थे ! चित्रकूट के शैल शिखर कन्दराएँ झरने अनुपम हैं ! मन्दाकिनी नदी का धीरे धीरे बहना सभी को आकर्षित करता है ! कामदगिरी की ५ km की प्रक्रिमा है ! चित्रकूट के विकास का श्रेय प्रमुख समाज सेवी श्री नाना जी देशमुख का है ! उन के द्वारा दीनदयाल शोध स्थान आरोग्य धाम राम मंदिर दर्शनीय हैं ! चित्रकूट के आस पास सभी स्थान जैसे राम घाट सती अनसूया आश्रम, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा जानकी घाट, स्फटिक शिला सूर्य कुंद बाल्मीकि आश्रम गणेश बाग़ कांच का मंदिर सभी स्थान दर्शनीय हैं!
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₹250.00
अंड़ेमान निकोबार द्वीपसमूह
अंड़ेमान निकोबार द्वीपसमूह का प्राकृत सौन्द्रय अनुपम व मनमोहक है ! इसे धरती का स्वर्ग कहा जा सकता है ! सन १८५७ ई के राजनैतिक कैदीयों को अंड़ेमान निकोबार द्वीपसमूह में बसा दिया गया था ! उन्हें असहनीय यातनाएं दी गयी थी ! इस लिए इसका नाम काला पानी रखा गया ! मुझे अंड़ेमान निकोबार द्वीपसमूह में १०० दिन रहने का अवसर मिला ! मैंने वहां जो देखा सुना और पुस्तकों में पढ़ा उन सब का वर्णन मैंने एस पुस्तक में दिया है ! भारत की स्वंत्रता के लिए अंड़ेमान निकोबार द्वीपसमूह के वासिओं का बहुत बढ़ा योगदान है ! पुस्तक के प्रथम अध्याय में अंड़ेमान निकोबार द्वीपसमूह का इतिहास और दर्शनीय स्थलों का वर्णन है ! द्वितीय अध्याय में यहाँ के जन जातियों का वर्णन है ! तृतीय अध्याय में १८५७ से लेकर १९४२ तक के बंदियों का वर्णन है ! चतुर्थ अध्याय में अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में जापानिओं का नियमंत्रण व् उनके अत्याचार की दुखद कथा तथा भारत की आज़ादी की कहानी है !
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