अयोध्या के प्रमुख राजा राजा प्रसेनजित प्रसेनजित रेणु (प्रथम) अयोध्या के सूर्यवंशी राजा थे। वह राजा कृशाश्व के पुत्र थे । सूर्यवंश भारत का सबसे पुराना क्षत्रिय वंश है जिसे आदित्यवंश, मित्रवंश, अर्कवंश, रविवंश इत्यादी नामो से जाना जाता है । आदि। प्रारंभिक सूर्य वंशी सूर्य को अपना कुल-देवता मानते थे और मुख्य रूप से सूर्य-पूजा करते थे। सौर जाति की राजधानी अयोध्या थी। महाराज प्रसेनजित् का शरीर अत्यन्त गौरवर्ण था। उन्होने अपनी बड़ी-बड़ी मूंछे बड़े यत्न से संवारी गई थीं वह कोमल फूलदार कौशेय और कण्ठ, भुजा और मणिबंध पर बहुमूल्य रत्नाभरण पहनते थे। वह एक पराकर्मी और संवेदनशील राजा थे । इनकी बेटी रेणुका परशुराम की मां थी । रेणुका राजा प्रसेनजित अथवा राजा रेणु की कन्या परशुराम की माता और जमदग्नि ऋषि की पत्नी थी जिनके पाँच पुत्र थे। रुमण्वान, सुषेण, वसु, विश्वावसु तथा परशुराम। एक बार सद्यस्नाता रेणुका राजा चित्ररथ पर मुग्ध हो गयी। उसके आश्रम पहुँचने पर मुनि को दिव्य ज्ञान से समस्त घटना ज्ञात हो गयी। उन्होंने क्रोध के आवेश में बारी-बारी से अपने चार बेटों को माँ की हत्या करने का आदेश दिया। किंतु कोई भी तैयार नहीं हुआ। जमदग्नि ने अपने चारों पुत्रों को जड़बुद्ध होने का शाप दिया। परशुराम ने तुरन्त पिता की आज्ञा का पालन किया। जमदग्नि ने प्रसन्न होकर उसे वर माँगने के लिए कहा। परशुराम ने पहले वर से माँ का पुनर्जीवन माँगा और फिर अपने भाईयों को क्षमा कर देने के लिए कहा। जमदग्नि ऋषि ने परशुराम से कहा कि वो अमर रहेगा। कहते हैं कि यह पद्म से उत्पन्न अयोनिजा थीं। प्रसेनजित इनके पोषक पिता थे। उनके राज्य उत्तरकोशला की राजधानी अयोध्या सबसे पहिली नगरी है। उस समय मगध साम्राज्य में अस्सी हज़ार गांव लगते थे और राजगृह एशिया के प्रसिद्ध छ: महासमृद्ध नगरों में से एक था। यह साम्राज्य विंध्याचल, गंगा, चम्पा और सोन नदियों के बीच फैला हुआ था, जो 300 योजन के विस्तृत भूखण्ड की माप का था । वह अपने छोटे-से गणतन्त्र को मगध साम्राज्य में मिलाना चाहते थे क्यो की मगध में आपाद अशांति और अव्यवस्था थी ! राजा प्रसेनजित ने अयोध्या में वेश्यावृती को ना केवल रोका परंतू सब असहाय महिलाओं को देवी के रूप मेंस्थानदिया।