By Rajkumari Sharma

Prateeksha

"यह उपन्यास समर्पित है , नारी समाज के उस वर्ग को जिसने विपरीत विकट परिस्थितियों को चुनोती के रूप में सवीकार कर उनसे लोहा लिया" 
श्री मति राज कुमारी शर्मा द्वारा लिखा उपन्यास प्रतीक्षा भारत विभाजन सम्बन्धी लिखे गए श्रेष्ठ उपन्यासों की सूची में सम्मिलत करने योग्य है ! अपने इस आत्मकथात्मक उपन्यास में लेखिका ने तत्कालीन पंजाब के रीति रिवाजों पर्वों त्योहारों परस्पर व्यव्हार व जीवन मूल्यों के प्रति बदलते दृष्टिकोणों को बर्डे  कुशल ढंग से प्रस्तुत किया है ! चूंकि लेखिका ने भारत विभाजन की विभीषिका को सवयम देखा है और भोगा है, इस लिए वह उन काले दिनों में हुई अनेक लोमहर्षक घटनाओं व उनसे सलंगन
परिस्थितियों के सूक्षम ब्योरों को अंकित करने में सफल हुई हैं ! उपन्यास की नायिका सीता विकटतम विपरीत स्थितियों के सामने घुटने नहीं टेकती !
कहीं कोई गलत समझोता नहीं करती ! बल्कि उन्हें चुनोती के रूप में सवीकार कर उनसे लोहा लेने का प्रयास करती है ! एक सामाजिक उपन्यास के रूप में इसकी कथा बेहद प्रेरक रोचक व व बाँधने वाली है ! सरल व सुबोध भाषा में लिखा गया यह उपन्यास पाठकों को प्रेरणाप्रद ज्ञानवार्दक तथा रोचक लगे गा !

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