महर्षि पतंजलि : पुराणकारों के अनुसार पंतजलि शेष के अवतार थे। वे बालपन से ही प्रखर बुद्धि के स्वामी थे। सम्भवतः वे काश्मीर निवासी थे। डॉ० रा० गो० भण्डारकर, डॉ० वासुदेव शरण अग्रवाल, डॉ० प्रभातचन्द्र चक्रवर्ती आदि विद्वानों के अनुसार उनका समय ईसा से 150 वर्ष पूर्व है। पतंजलि के ग्रंथों में लिखे उल्लेख से उनके काल का अंदाजा लगाया जाता है कि संभवतः राजा पुष्यमित्र शुंग के शासन काल 160 से 140 ई. पूर्व इनकी उपस्थिति थी। पतंजलि एक वैद्य थे। उन्होंने चिकित्सा विज्ञान, अभ्रक, धातु विज्ञान और रसायन विज्ञान के क्षेत्र में योगदान दिया।उनहें, तन और मन के डॉक्टर के रूप में सम्मानित किया गया । महर्षि पतंजलि को संस्कृत के महत्वपूर्ण ग्रन्थों का रचयिता माना जाता है। वह ऋषि अत्री और उनकी पत्नी अनुसूइया के पुत्र थे । इनके महाभाष्य में पुष्यमित्र (सेनापति) की राजसभा का वर्णन है। महर्षि पतंजलि महान वैचारिक असमान्य प्रतिभा के स्वामी और समस्त शास्त्रों में पारंगत थे। संस्कृत भाषा के व्याकरणकार पाणिनि की अष्टध्यानी पर सर्वप्रथम कात्यायन ने वार्तिका की रचना की थी। उस वार्तिका पर पंतजलि द्वारा दिए व्याख्यान महाभाष्य नाम से प्रसिद्ध हुए। व्याकरण जैसे शुष्क व कठिन विषय को पंतजलि ने अपने महाभाष्य में अत्यन्त सरल और सरस ढंग से प्रस्तुत किया है। इनके महाभाष्य से उस समय की राजनैतिक, सामाजिक, भौगोलिक और आर्थिक परिस्थितियों का पता चलता है। पाणिनि की तरह पंतजलि ने भी वेदपाठ के शुद्ध उच्चारण पर जोर दिया है। इनका कथन है, “अच्छा जाना हुआ एक ही शब्द स्वर्ग तथा मृत्यु दोनों लोकों की कामना पूरी करता है। इसके अनुसार संसार दुखमय है। यदि जीवात्मा मोक्ष चाहती है है तो उसके लिए योग ही एक मात्र उपाय है। योग दर्शन का दूसरा नाम कर्मयोग भी है, क्योंकि वह साधक को मुक्ति मार्ग दिखाता है। इनको योगशास्त्र के जन्मदाता की उपाधि भी दी जाती हैं। जो हिन्दू धर्म के छह दर्शनों में से एक है। इन्होंने योग के 195 सूत्रों को स्थापित किया। जो योग दर्शन के आधार स्तंभ हैं।पंतजलि काश्मीर याउत्तर प्रदेश के निवासी माने जाते हैं। ये अंगिरस गोत्रकार ऋषि हैं। भारतीय दर्शन शास्त्र के धरोहर में इनके लिखे तीन ग्रंथों का वर्णन मिलता है। जिनके नाम हैं – योगसूत्र , आयुर्वेद पर ग्रन्थ एवं अष्टाध्यायी पर भाष्य। योगसूत्र की रचना महर्षि पतंजलि ने आज से लगभग 160 ई. पूर्व लिखा था। योगशास्त्र का प्रचलन शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही दिमाग को भी शांत करने के लिए किया जा रहा है। English Translation.
Maharishi Patanjali: According to mythology, Patanjali was the incarnation of Shesh Nag. He was a master of intense intelligence since childhood. Probably he was a resident of Kashmir. According to Dr. R. G. Bhandarkar, Dr. Vasudev Sharan Agarwal, and Dr. Prabhat Chandra Chakraborty, his life time was during 150 years before Christ. From various texts of Patanjali, we may estimate that his presence was probably between 160 to 140 BC, during the reign of King Pushyamitra Sunga. Patanjali was a physician. He contributed in the fields of medical sciences, mica, metallurgy and chemistry. He was revered as the doctor of body and mind. Maharishi Patanjali is considered the author of many important Sanskrit texts. He was the son of sage Atri and his wife Anusuiya. His Mahabhashya describes the Raj Sabha of Pushyamitra (Senapati). Maharishi Patanjali was the master of great ideological talent and well versed in all the religious scriptures. He was the first to compose Vartika on Sanskrit grammarian Panini’s Ashtadhyani. The lectures given by Patanjali on Vartika, became famous as Mahabhashya. Patanjali had presented a difficult subject like grammar in a very simple manner in his Mahabhashya. His Mahabhashya reveals the political, social, geographical and economic conditions of that time. Like Panini, Patanjali has also laid stress on the correct pronunciation of Veda-path. They say, “A single word well known fulfills the desire of both the worlds of heaven and death. According to this, the world is sad. If the soul wants salvation, then yoga is the only solution for it. Another name of yoga philosophy is Karmayoga, because it shows the path of liberation to the seeker. He was also given the title of the father of Yogashastra. Which is one of the six philosophies of Hinduism. He established 195 sutras of yoga. Which are the pillars of Yoga philosophy. Patanjali was a resident of Kashmir or Uttar Pradesh. He was an Angira gotrakar sage. The description of three books written by him is found in the heritage of Indian philosophy. Whose names are – Yogasutra, treatise on Ayurveda and commentary on Ashtadhyayi. Maharishi Patanjali wrote Yogasutra about 160 BC. Yogashastra is being practiced, now a days also, to keep the body healthy, as well as to calm the mind.