अयोध्या के प्रमुख राजा
राजा अनेनस्
अनेनस् नाम के दो राजा हुए हैं। एक पुरू वंशीय व दूसरा इक्ष्वाकु वंशीय | यह अनेनस् ककुत्स्थ राजा का पुत्र था। ब्रह्मा जी के 10 मानस पुत्रों मे से मरीचि एक हैं। सतयुग का आरम्भ ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों से होता है मरीचि उनमे एक थे मरीचि के पुत्र कश्यप और कश्यप के पुत्र सूर्य जिनसे सूर्यवंश का आरम्भ हुआ। विवस्वान ( सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु और वैवस्वत के पुत्र नभग
सूर्यवंश के नाभाग, अम्बरीष, विरुप, पृषदश्व, रथीतर और इक्ष्वाकु राजा हुए
इक्ष्वाकु परम प्रतापी राजा थे, इनसे इस वंश का एक नाम इक्ष्वाकु वंश हुआ। इक्ष्वाकु वंश वैदिक आर्य क्षत्रियों के प्रमुख राजवंशो में से एक है। मनु के पुत्र इक्ष्वाकु से इस वंश का आरंभ हुआ। इनकी उत्पत्ति सूर्यवंशियों में से हुई थी। ये प्राचीन कोशल देश के राजा थे और इनकी राजधानी अयोध्या थी। रामायण और महाभारत में इन दोनों वंशों के अनेक प्रसिद्ध शासकों का उल्लेख है। हिन्दू धर्म में इस वंश का बहुत महत्व है, सगर,भगीरथ,हरिश्चन्द्र, दशरथ जैसे अनेक पराक्रमी महापुरूष इसी कुल मे हुए, स्वयं भगवान राम इक्ष्वाकु वंश के वंशज थे। जैन और बौद्ध धर्म में भी इक्ष्वाकु वंश का बहुत महत्व है। सभी जैन तीर्थंकर इक्ष्वाकु वंश में ही उत्पन्न हुए थे। बुद्धवंश के अनुसार शाक्यमुनि गौतम बुद्ध इसी इक्ष्वाकु के कुल में जन्मे थे । चन्द्रवंश का राजा अयुष, सूर्यवंश के राजा शशाद का समकालीन हो सकता है और राजा ययाति राजा अनेनस् का समकालीन हो सकता है ।