राजा शत्रुध्न शत्रुध्न, राजा दशरथ के सबसे छोटे पुत्र हैं। लक्ष्मण के सहोदर हैं। भरत से उनका विशेष अनुराग है। वह भरत के साथ उनके ननिहाल में रहते हैं। वे शस्त्र विद्या के धनी शास्त्र ज्ञाता व दुष्ट हन्ता है। जब शत्रुघ्न को यह पता चला कि मंथरा के कारण ही श्री राम को बनवास हुआ है तो उन्होंने मंथरा के इन कुकृत्यों से क्रोधित होकर उस को लात मारकर उसकी कूबर तोड़ दी थी और उसे मुंह के बल गिरा दिया। राम के वनवास में चले जाने के बाद शत्रुघ्न ने राज भरत की सेवा की। इन्होंने ने भी माता-पिता, भाई, पत्नी सबको छोड़कर भरत के साथ रहना और उनकी सेवा करना ही अपना कर्तव्य समझा। वह भरत के साथ राम को लौटाने के लिए चित्रकूट भी जाते हैं। सिहासनरूढ़ होते ही राम उन्हें मथुरा देश का राजा बनाते हैं। वे लवण नामक राक्षस का संहार करके निष्कंटक राज्य करते हैं। लवणासुर से त्रस्त ऋषि मुनि श्री रामचन्द्र जी के पास सहायता के लिए जाते हैं। श्री राम चन्द्र अपने भाइयों भरत और शत्रुध्न से पूछते हैं कि लवण को कौन मारेगा? महाबाहु भरत या बुद्धिमान शत्रुध्न ।” भरत कहता है कि उसे मैं मारूँगा। उसी समय शत्रुध्न कहते हैं” मंझले भैया तो बहुत कार्य कर चुके हैं। नंदिग्राम में उन्होंने बहुत दुख झेले है। यह कार्य मैं करूँगा” । श्रीराम शत्रुध्न से कहते हैं, ” तुम शूरवीर हो नई नगरी का निर्माण कर सकते हो। यमुना के तटपर सुन्दर नगर बसा सकते हो और आम जनपदों की स्थापना कर सकते हो। अतः तुम मधु के पुत्र लवणासुर को मारकर धर्मपूर्वक तहां के राज्य का शासन करो।” का राज्याविभषेक होने के पश्चात् श्री राम ने उन्हें लवणासुर को मारने के लिए दिव्य अमोघ वाण दिए । शत्रुध्न ने अपनी विशाल सेना के साथ प्रस्थान किया और दो दिन के बाद वाल्मीकि आश्रम में पहुंचे। उसी रात सीता ने दो बच्चों को जन्म दिया। शत्रुध्न समाचार सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और सीताजी की पर्णकुटी में पहुंचकर उन्होंने कहा, माताजी, यह बड़ी सौभाग्य की बात है।” लवणासुर पर विजय पाकर शत्रुध्न ने एक सुन्दर नगरी मथुरापुरी स्थापित की । शत्रुघ्न बारह वर्ष तक मधुपुरी नगरी एवं मथुरा के शासक रहे। 12 वर्ष बाद वे श्री राम जी को मिलने अयोध्या गए। उन्होंने श्रीरामजी को कहा, “मैं आप से 12 वर्ष तक बिछड़ा रहा। अब मैं आप को छोड़कर नहीं जाना चाहता” । श्री राम जी ने शत्रुध्न को गले लगाते हुए कहा, “हे वीर क्षत्रियों को ऐसा कहना शोभा नहीं देता। तुम मुझे प्राणों से प्यारे हो । परन्तु प्रजा-पालन और राज्य की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। सात दिन इधर रहकर तुम अपने राज्य मधुपुरी में लौट जाओ। वे जब चलने लगे, महात्मा भरत और लक्ष्मण कुछ दूर उन्हें छोड़ने गए। शत्रुध्न की पत्नी का नाम श्रुतकीर्ति था जो जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री थीं। शत्रुध्न के दो पुत्र हुए- सुबाहू और शत्रुघाती सुबाहू ने मथुरा का राज्य संभाला और शत्रुघाती ने विदिशा का । शत्रुध्न के वंशजों का राज्य अधिक दिन नहीं रहा। भीमरथ यादव ने रघुवंशियों से मथुरा का राज्य छीन लिया था। प्राचीन काल में यह शूरसेन देश की राजधानी थी।