यादों की अदालत (The Court of Memories)
जिन्दगी में दूर तक चलना पड़ा ये जानने को,
कि करीब कौन है, और कौन अजनबी।
बेवजह खुश रहना अब सीख लिया है,
क्योंकि वजहों का मोल चुकाना मुश्किल है।
ईश्वर इंसान को, इंसान ईश्वर को ढूंढता है,
इस भूलभुलैया में बस अकेलापन मिलता है।
दिलों के दरबार में इमान की कद्र नहीं,
मोहब्बत की ज़मीन पर अब फूल खिलते नहीं।
जो खुद से बढ़कर किसी को चाहते हैं,
वो ही अक्सर जिंदगी से हार जाते हैं।
जो दिल में घर बनाते हैं,
वही अक्सर तोड़ कर चले जाते हैं।
जिनसे रोशनी की उम्मीद हो,
वो दिए बुझा कर चले जाते हैं।
कभी सोचा था, तुम्हारे साथ हर सपना सच करूँगा,
हर ग़म तुम्हारा, अपनी हंसी से दूर करूँगा।
मगर वक़्त ने दिल के हर अरमान को तोड़ दिया,
मोहब्बत का चिराग़ जलाकर, राख कर दिया।
अब मैं अकेला हूँ, यादों का कारवां साथ है,
लेकिन उन यादों को जीना भी एक सज़ा है।
रेलवे स्टेशन का वो मंज़र याद आता है,
जब तुमने विदाई में आँखें चुराई थीं।
प्यार से चूमा था तुम्हारा हाथ मैंने,
पर तुमने उसे झटक कर दूरी बढ़ाई थी।
मैंने दुआओं में तुम्हें लौटने को मांगा,
पर तुम लौटे नहीं, दिल को तन्हाई सौंपी।
जानता हूँ, बातों का ज़हर फैलाया गया,
पर मेरे किरदार पर कोई धब्बा न था।
साफ़ दिल, बेगुनाह ज़िंदगी जी थी मैंने,
पर ग़लतफहमियों ने हर रिश्ता मिटा दिया।
सांप ने डसा, बाद में ख़ैरियत पूछने आया,
पर तुम तो चाहत को ही झुठलाकर चले गए।
मोहब्बत की अदालत में वफादार सज़ा पाते हैं,
जो दिल से रोते हैं, वो अश्क़ छुपाते हैं।
चोट खाकर भी जो साथ निभाते हैं,
वो अक्सर अकेले रह जाते हैं।
जो अपने होकर छल करें,
वो दुश्मनों से भी बड़े होते हैं।
किसी को उजाड़ कर बसा जो घर,
वो महलों से भी खाली होते हैं।
जिनके दिल पर चोट लगती है,
वो आँखों से नहीं, दिल से रोते हैं।
हर ठोकर सिखाती है संभलने का सबक,
पर घावों को सहलाने का वक्त कहाँ होता है।
हवा भी गुज़री, पर पत्ते नहीं हिले,
तुम आए, मगर हम मिले नहीं।
जिनके सपनों को रुला दिया जाता है,
उनके आंसुओं का वजन कोई नहीं समझता।
ज़िंदगी ने जो सबक सिखाया हमें,
वो किताबों में लिखा नहीं होता
बहुत अंदर तक तबाह कर देते हैं,
वो अश्क़ जो आँखों से गिर नहीं पाते।
दिल की कहानी हर कोई समझ नहीं सकता,
खुद को अलग कर लो, तब सुकून आता है।
खूबसूरत सा वो कल अब सपना बन गया,
यादें छोड़ गया, और कुछ नहीं।
जो लोग दर्द को समझते हैं,
वो दर्द की वजह नहीं बनते कभी।
दिल की अदालत ने फैसला सुना दिया,
मोहब्बत की राहों में वफ़ा हार गई।
मोहब्बत का कानून अजीब है,
वफ़ादार अक्सर सज़ा पाते हैं।
दूर तक जाना पड़ा, ये जानने के लिए,
कि पास कौन था, और खोने के लिए।
सच के रास्ते पर चला था, मगर कांटे थे,
हर तरफ अफवाहों के साए मंडराते थे।
दिल की वफाओं का सबूत देने में उम्र गुज़री,
पर मोहब्बत के सिक्के भी नकली बताए गए।
तुमसे रौशन थी मेरी ज़िंदगी की हर गली,
अब अंधेरों से दोस्ती निभा रहा हूँ मैं।