सुयज्ञ वसिष्ठ राजा दशरथ तथा श्रीरामचन्द्र का पुरोहित सुयज्ञ वसिष्ठ था। यह नीति विशारद, प्रमुख ज्ञानी, क्षमाशील एवं सहिष्णु था । तपस्या के बल से इसने ‘ब्रह्मर्षिपद प्राप्त किया था। दशरथ के द्वारा किए कामेष्टि यज्ञ में वह प्रमुख ऋत्विज था । राम आदि भाइयों को शस्त्र शास्त्र विद्या भी इसी ने सिखाई। राम को उपदेश देने के लिए इसने ‘योग वसिष्ठ’ ग्रन्थ की रचना की। इस ग्रन्थ में ज्ञान और कर्म का उपदेश है। गुरु वसिष्ठ ने राम को कहा, “ज्ञान प्राप्ति के लिए दैनिक व्यवहार और कर्त्तव्य छोड़ने की आवश्यकता नहीं। जीवन सफल बनाने के लिए कर्त्तव्य निभाने की उतनी जरूरत है, जितनी आत्मज्ञान प्राप्त करने की। जिस तरह पंक्षी दो पंखों से आकाश में उड़ता है, उसी प्रकार ज्ञान और कर्म के समन्वय से मनुष्य के जीवन में परमपद की प्राप्ति होती है।” भगवद् गीता का उपदेश ‘योग वसिष्ठ’ के ही उपदेश पर प्रतीत होता है। गुरु वसिष्ठ की शिक्षा का ही प्रभाव था कि राम, भरत आदि राज्य – लिप्सा में ग्रस्त नहीं हुए। विभिन्न रामकथाओं के अनुसार उनकी पत्नी का नाम भी अरुन्धती था। राम के राज्य काल में भी सुयज्ञ वसिष्ठ ही राजगुरु थे ! उपमन्यु वसिष्ठ : वसिष्ठ कुल में उत्पन्न व्याघ्रपाद का पुत्र था एक बार यह अपने मामा के घर गया मामा के पास गाय धन था। वहां इसने दूध पिया घर लौट कर यह अपनी माँ से दूध मांगने लगा। माँ ने जौ का आटा घोलकर पिला दिया। परन्तु दूध का स्वाद न होने से उसने माँ से कारण पूछा। माँ ने कहा, “भगवान शंकर तुम से रुष्ट हैं। इसलिए तुम्हें दूध प्राप्त नहीं होता महाभारत काल में धौम्य ऋषि हुए हैं। उपमन्यु उनके आश्रम में विद्या ग्रहण के लिए गया। धौम्य ऋषि ने उसकी परीक्षा लेने के लिए इसके पेट भरने के साधन, भिक्षा आदि बंद कर दी। यह गाय चराते समय गाय का दूध पी लेता। वह भी गुरु ने मनाकर दिया और दूध के साथ लगी फेन भी इसके लिए वर्जित कर दी। भूख सताने पर वह आक का दूध पीने लगा और इसकी आंखों का प्रकाश जाने लगा। एक दिन वह गाय चराता-2 सूखे कुएँ में गिर पड़ा और आश्रम में नहीं लौटा। गुरु अपने शिष्य की खोज में निकले। गुरु जी ने उसे आवाजें दी। पता लगने पर गुरु जी ने उपमन्यु को कुएँ से निकाला और उसे अश्विनी कुमारों की स्तुति करने को कहा। अश्विनी कुमारों ने उसे औषधि दी। औषधि लेने से वह स्वस्थ हो गया। उसने शिव-भक्ति आरम्भ की और कई शिव स्तोत्र लिखे। उसने आठ ईटों का मन्दिर बनाकर शिवलिंग की स्थापना की और शिवपूजा आरम्भ कर दी। महाभारत के अनुसार ऋषि उपमन्यु वसिष्ठ ने कृष्ण को शिव सहस्र नाम बताए। जब पुत्र प्राप्ति के लिए श्री कृष्ण तप करने लगे, उन्हें इसी ऋषि द्वारा शैवी दीक्षा दी गई। अन्त समय में उपमन्यु ऋषि हिमवान् पर्वत पर अति जीर्ण वस्त्र ओढ़कर रहते थे और उन्होंने जटाएं बढ़ा ली थी। सुवर्चस् : सुवर्चस् वसिष्ठ हस्तिनापुर के राजा संवरण का पुरोहित था। यह शक्ति वसिष्ठ का भाई था। पांचाल देश के राजा सुदास ने संवरण को राज्यच्युत कर दिया था। वसिष्ठ की सहायता से ऋषि -पुत्र संवरण ने पुनः राज्य प्राप्त कर लिया, और ऋषि की सहायता से विवस्वत की पुत्री तपती से विवाह किया तारकमय युद्ध के बाद धरती पर महा अकाल पड़ गया। राजा की अनुपस्थिति में ऋषि वसिष्ठ ही राज्यकार्य संभालता रहा था। उसने फल, मूल, औषधि आदि का निर्माण कर देव, मनुष्य व पशुओं की रक्षा की। English Translation. Suvagya Vasistha. The priest of King Dashrath and Shri Ram, was Suvagya Vasistha. He was a policy advisor, and a prominent scholar of the kingdom. He was known for his forgiveness and tolerant, attributes. By the power of penance, he had attained ‘Brahmatva. He was the main Ritvij, in the Kameshti Yagya performed by the king Dasaratha. He also taught weapon’s science to Ram and his younger brothers. To preach Ram, he composed a book ‘Yoga Vasistha’. Knowledge and action are described in this book. Guru Vasishtha had said to Rama, “There is no need to give up day to day one’s behavior and one’s duty to gain knowledge. To make the life successful, performing duty is as important as attaining enlightenment. Just as a bird flies in the sky with two wings, Similarly, by the coordination of knowledge and action, one attains the supreme state in life. The preaching of Bhagavad Gita seems to be on this subject only ie preaching of ‘Yoga Vasistha’. The effect of Guru Vasishtha’s teachings was that Ram, Bharat etc. did not get engrossed in lust for the kingdom, according to various stories of Lord Ram. His wife’s name was also Arundhati. Even during the reign of Ram, Suyagya Vasishtha was the Rajguru.
Upamanyu Vasistha: Upamanyu Vasishtha was the son of Vyaghrpada born in the clan, once he went to his maternal uncle’s house, the maternal uncle had wealth of only cows. There he used to drink milk, after returning home, he used to ask for milk from his mother. But his mother used to mix barley flour and gave it to him. As there was no taste of milk, he asked his mother the reason. The mother said, “Lord Shankar is angry with you. that’s why you don’t get milk. During the Mahabharata period, there were Dhaumya Rishis. Upamanyu went to his ashram for education. Dhaumya Rishi wanted to test him & stopped, all the means of filling his stomach etc. He used to drink cow’s milk, while grazing the cow. That too was refused by the Guru and the froth mixed with milk was also prohibited for this. When he was hungry, he started drinking the milk of Aak and thereafter he started losing eyesight. One day he fell into a dry well while grazing a cow and therefore did not return to the ashram. The Guru went out in search of his disciple. On finding out, Guru ji took Upamanyu out of the well and asked him to approach the Ashwini Kumar for treatment. Ashwini Kumar gave him some medicines. He became healthy by taking medicines. He thereafter started Shiva-Bhakti and wrote many Shiva stotras. He established Shivling by building a temple of eight bricks and started worshiping Shiva. According to Mahabharata, sage Upamanyu Vasistha informed Krishna about several names of Lord Shiva. When Shri Krishna started doing penance to get a son, he was given Shaivite initiation by this sage. In the last days, the sage Upamanyu used to live on the Himavan mountain wearing worn out clothes. He grew his hair. Suvarchas Vasistha. Suvarchas Vasistha was the priest of King Samvarana of Hastinapur. Shakti was the brother of Vasistha. King Sudas of Panchal country had deposed Samvaran. With the help of Vasistha, the sage-son, Samvarana regained the kingdom, and with the help of the sage married Tapati, the daughter of Vivasvat. After a war, there was a great famine on the earth. During the absence of the king, sage Vasistha used to handle the affairs of the state. He protected Gods, humans and animals by creating fruits, roots, medicines etc.