ancient indian history

Bhai Mani Singh

भाई मणि सिंह

भाई जी ज्ञानी ज्ञान सिंह के पिता के दादा थे। (त०गु०खा०) सं० 1791 को भाई मणि सिंह शहीद हुए। दुष्टों द्वारा उनका अंग-अंग काटा गया। उनके भतीजे थराज सिंह ने दिल्ली दरवाजे, लाहौर के बाहर उनका दाह संस्कार किया। वहीं उनकी समाधि थी।
भाई मणि सिंह का जन्म 10 मार्च, 1644 ई० में अलीपुर, जिला मुजफ्फरगढ़ में हुआ। उनके पिता माईदास व माता मुदी बाई थी। भाई जी का दादा बल्लू, गुरु हरि गोबिंद जी के धर्म युद्ध में, सन् 1634 ई० में अमृतसर के स्थान पर शहीद हुआ था। उनका विवाह 15 वर्ष की आयु में सत्तो देवी के साथ हुआ। सत्तोबाई के पिता लक्खी शाह ने गुरू तेग बहादुर के धड़ का दाह संस्कार किया था। शादी के बाद भाई मणि सिंह बड़े भाई दयाले और जेठे के साथ कीरतपुर आ गये। 1691 ई० में दशम गुरु ने उन्हें अपना दीवान नियुक्त किया।
1689 ई० में खालसा निर्माण के समय उनके पांच बेटो को भी खालसा पंथ में शामिल किया गया। एक वर्ष दमदमा साहिब में गुजारने के बाद गु० गोबिंद सिंह ने दक्खन जाने का निर्णय लिया। भाई मणि सिंह अन्य सिक्खों के साथ गुरु जी के साथ रहे। 17 अक्टूबर, 1708 ई० में गुरु जी नंदेड में शहीद हुए भाई जी व अन्य माता साहिब देवां को साथ लेकर दिल्ली पहुंचे। भाई मणि सिंह का मुख्य कार्य श्री दशम ग्रन्थ साहिब का संकलन है।

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