पर्शियन या पारसी धर्म ये लोग पर्शिया या प्राचीन ईरान के निवासी थे। पारसी लोग प्रकृति देवों की पूजा करते थे यथा मित्र या सूर्य प्रकाश का देवता है। इन लोगों के मन्दिर नहीं होते थे। वे पर्वतों की चोटियों पर पूजा करते थे। जोरोस्तर लगभग 1400 से 1000 ई० पूर्व एक पैगम्बर हुआ था जिसने प्राचीन धर्म में सुधार किया। उसने ऐसे सिद्धान्तों का प्रचार किया, जो अच्छे विचारों, अच्छी वाणी और अच्छे कार्यों पर आधारित हो। उसने अहूर मजदा”” अर्थात् सर्वोच्च शक्ति को मानने पर बल दिया। अंग्रा मेन्यू (Angra Mainyu) दुष्टात्मा होती है। उसकी सहायता Demons करते हैं जोरोस्तर के अनुयायियों ने इस धर्म को सम्पूर्ण पार्शिया में फैला दिया। उसकी शिक्षाएं ‘गाथाएं” उन लोगों की पवित्र पुस्तक ‘अवेस्ता’ का एक भाग हैं। प्राचीन पारसी किसान होते थे। वे गेहूं, सब्जियाँ आदि बोते थे। सिंचाई के लिए उन्होंने भूमिंगत नहरें बनाई हुई थी, जिससे धूप के कारण पानी सूख न जाए। प्रमुख नगरों को मिलाने के लिए उन्होंने सड़कें बनाई हुई थी। चीन और भारत के साथ उनके व्यापारिक सम्बन्ध थे। उनका साम्राज्य प्रान्तों में बंटा हुआ था। प्रान्तों पर सत्रप का नियन्त्रण होता था। ये सत्रप सम्राट के अधीन होते थे। उनकी एक गुप्तचर संस्था होती थी। इसके कर्मचारी सम्राट के आंख-कान माने जाते थे। वे सभी गुप्त समाचार, सम्राट को बताते थे। 155 ई० पूर्व से 225 ई0 तक यह साम्राज्य पार्थियनस के अधीन रहा। इन्हें लगातार ‘रोमनसू के साथ युद्ध करना पड़ा। बाद में अर्द्धशीर ने ‘पार्थियनस” को हरा दिया। अर्द्धशीर के दादा के नाम पर इस वंश का नाम सस्सन पड़ा। इस वंश ने 224 ई0 से 641 ई0 तक पर्शिया पर राज्य किया। रोमनस के द्वारा लगभग 300 ई0 में इसाई” धर्म अपना लेने पर इनके परस्पर झगड़े बढ़ गए और धर्म युद्ध आरम्भ हो गए। इस्लाम के प्रचार से पारसी लोगों को कष्टों का सामना करना पड़ा। उनके घर लूटने व कत्ले आम का सिलसिला शुरू हो गया। लगभग 800 ई0 में उन्हें अपना देश छोड़कर बाहर के देशों में शरण लेनीपड़ी। भारत में वे लोग गुजरात में बस गए। जो लोग पर्शिया में रह गए थे। उन्हें 1900 ई0 तक यातनाएँ सहनी पड़ी। उसके पश्चात् कई लोग इंग्लैण्ड, अमेरीका, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में बस गए।