क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी – हरिवंश राय श्रीवास्तव बच्चन
क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी? क्या करूँ? मैं दुखी जब-जब हुआ संवेदना तुमने दिखाई, मैं कृतज्ञ हुआ हमेशा, रीति दोनो ने निभाई, किन्तु इस आभार का अब हो उठा है बोझ भारी; क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी? क्या करूँ? एक भी उच्छ्वास मेरा हो सका किस दिन तुम्हारा? उस नयन से बह सकी कब इस …
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