ancient indian history

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Rishi Dronacharya

द्रोणाचार्य : द्रोणाचार्य भारद्वाज के पुत्र थे ये भारद्वाज इक्ष्वाकु वंश की 91वीं पीढ़ी के राजा सुसंधि के समकालीन थे। द्रोण की पत्नी कृपी कृपाचार्य की बहिन थी। इन दोनों का पालन पोषण राजा शान्तनु ने किया था। गौतम की पुत्री होने के कारण कृपी को गौतमी भी कहते थें।  द्रोणाचार्य ने अपने पिता से …

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Rishi Kanva

ऋषि कण्वकण्व वैदिक काल के ऋषि थे। इनके पिता का नाम घोर ऋषी था । कण्व एक से अधिक हुए हैं, एक अंगिरस तथा दूसरा काश्यप। कण्व का अर्थ सुखमय होता है। 1. कण्व अंगिरस इसका कुल पुरुओं से उत्पन्न हुआ है। विष्णु पुराण में इसे मतिनार का पोता और अप्रतिरथ का पुत्र कहा है। कई …

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Rishi Tapodat

ऋषि  तपोदत (यवक्रीत)गंगा नदी के तट पर रैभ्य नामक एक महामुनि निवास करते थे। उनके आश्रम के नजदीक ही महर्षि भारद्वाज का आश्रम था। दोनों में घनिष्ठ दोस्ती थी। परस्पर एक-दूसरे के सुख-दुख का विचार रखते थें। रैभ्य मुनि के दो पुत्र थे-अर्वावसु और परावसु। दोनों भाई बुद्धिमान और समस्त विद्याओं में पारंगत थें। एक …

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Rishi Vamdev

ऋषि वामदेव :एक प्रसिद्ध वैदिक सूक्त द्रष्टा हुए है। इन्हें ऋग्वेद के चौथे मण्डल का रचयिता माना जाता है। पूर्व जन्म के सम्बंध में विचार करने वालों तत्वज्ञों में वामदेव को सर्वश्रेष्ठ ऋषि माना जाता है। इनसे सम्बंधित तत्वज्ञान ‘जन्मत्रयी’ नाम से प्रसिद्ध है। रामायण काल के प्रसिद्ध ऋषि भारद्वाज हुए हैं। इनका आश्रम प्रयाग …

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Rishi Bhardwaj

ऋषि भरद्वाज :ऋषि भरद्वाज त्रेता युग के आरम्भ में हुए यह इक्ष्वाकु वंश की 43वीं पीढ़ी में हुए राजा अंशुमान के समकालीन थे। ये कुल ब्रह्मा के मानस पुत्र अंगिरा ऋषि के वंशज थे। इनके कई महान् विभूतियाँ हुई हैं, जिनमें प्रमुख वितथ भारद्वाज, कण्व, वामदेव, यवक्रीत, द्रोणाचार्य अश्वत्थामा और पंतजलि हैं। ऋषि भरद्वाज वृहस्पति …

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Rishi Angiras

महर्षि अंगिरसमहर्षि अंगिरस मन्त्रद्रष्टा, योगी, संत तथा महान भक्त हैं। इनकी ‘अंगिरा-स्मृति’ में सुन्दर उपदेश तथा धर्माचरण की शिक्षा व्याप्त है।महर्षि अंगिरस ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं तथा  यह   सप्तर्षियों में एक है।  प्रजापति भी कहा गया है ।इनके दिव्य अध्यात्मज्ञान, योगबल, तप-साधना एवं मन्त्रशक्ति की विशेष प्रतिष्ठा है । इनकी पत्नी दक्ष प्रजापति की पुत्री स्मृति थीं ।अंगिरस …

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Rishi Gobhil

ऋषि गोभिल :गोभिल कश्यप कुल का गोत्रकार ऋषि है। इस ऋषि द्वारा रचित “गोभिल गृह्य सूत्र” “गोभिल” गृह्य कारिका, ” “गोभिल परिशिष्ट” आदि ग्रन्थ है। गन्धर्व चित्रेश्वर द्वारा स्थापित महाभारत पांडव-कौरव के पूर्वज के चित्रेश्वर शिवलिंग हैं। जैमिनीश चित्रेश्वर के पश्चिम में महर्षि जैमिनि द्वारा स्थापित। उसके आगे सामन्त, राजा आदि तथा और ऋषियों द्वारा …

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Rishi Purna Kashyap

ऋषि पूर्ण काश्यप :पूर्ण काश्यप वर्द्धमान महाबीर के समकालीन ऋषि थे। राजा अजातशत्रु को मिलने गए छः महापुरूषों में से महाबीर के साथ एक पूर्ण काश्यप थे। जिन का उल्लेख जैन धर्मग्रन्थों में है। जैन साहित्य में उन्हें “पूरन कास्सप” नाम दिया है। वर्द्धमान महावीर भी काश्यप थे। बौद्ध धर्म में पूर्ण कश्यप को नास्तिक …

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Rishi Dhaumya

ऋषि धौम्यशिव भक्त धौम्य, द्वापरयुग के ऋषि हैं। वह पांडवों के शाही पुजारी और कुलगुरु थे और उपमन्यु, अरुणी, पांचाल और वैद के शिक्षक थे। पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान धौम्य को अपना पुजारी स्वीकार किया था। क्योंकि पांडवों को एक ब्राह्मण द्वारा बताया गया था कि “पांडवों को मुश्किलों का सामना करना पड़ …

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Rishi Sandipan

ऋषि संदीपन: अवन्ति निवासी संदीपन कश्यप गोत्रीय ऋषि थे। वे धनुर्विद्या के श्रेष्ठ आचार्य थे। उनके आश्रम का नाम अंकपाद था। सुदामा, बलराम और श्रीकृष्ण इसी आश्रम में शिक्षा पाते थे। संदीपन ने उन्हें वेद, उपनिषद, राजनीति, चित्रकला, गणित, गांधर्व वेद, गजशिक्षा अश्व शिक्षा आदि चौसठ कलाएं सिखाई तथा दस अंगों से युक्त धनुर्वेद का …

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